"रंग जमा लो (कविता) / अशोक चक्रधर" के अवतरणों में अंतर
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− | (पतिदेव दबे पांव घर आए और मूढ़े के पीछे छिपने लगे। उनकी सात बरस की बिटिया ने उन्हें छिपते हुए देख लिया।) | + | (पतिदेव दबे पांव घर आए और मूढ़े के पीछे छिपने लगे। उनकी सात बरस की बिटिया ने उन्हें छिपते हुए देख लिया।) |
− | पतिदेव : (फ़िल्म ‘हकीक़त’ की गीत-पैरौडी) | + | पतिदेव : (फ़िल्म ‘हकीक़त’ की गीत-पैरौडी) |
− | मैं ये सोचकर अपने घर में छिपा हूं | + | मैं ये सोचकर अपने घर में छिपा हूं |
− | कि वो घेर लेंगे | + | कि वो घेर लेंगे |
− | सताएंगे मुझको | + | सताएंगे मुझको |
− | मगर ना तो देखा | + | मगर ना तो देखा |
− | न रंग ही लगाया | + | न रंग ही लगाया |
− | न की छेड़खानी | + | न की छेड़खानी |
− | न चंगुल में आया | + | न चंगुल में आया |
− | मैं आहिस्ता-आहिस्ता | + | मैं आहिस्ता-आहिस्ता |
− | बाहर से आया | + | बाहर से आया |
− | यहां आ के मैं | + | यहां आ के मैं |
− | लापता हो गया हूं। | + | लापता हो गया हूं। |
− | (हाथ में गुलाल की तश्तरी लिए हुए श्रीमती जी दूसरे कमरे से इस कमरे में आती हैं। यहां पतिदेव छिपे बैठे हैं। श्रीमती जी नाचते हुए गाती हैं।) | + | (हाथ में गुलाल की तश्तरी लिए हुए श्रीमती जी दूसरे कमरे से इस कमरे में आती हैं। यहां पतिदेव छिपे बैठे हैं। श्रीमती जी नाचते हुए गाती हैं।) |
− | श्रीमती जी: (फ़िल्मी गीत ‘कहां चल दिए, इधर तो आओ’, की पैरौडी) | + | श्रीमती जी: (फ़िल्मी गीत ‘कहां चल दिए, इधर तो आओ’, की पैरौडी) |
− | कहां छिप गए | + | कहां छिप गए |
− | इधर तो आओ | + | इधर तो आओ |
− | थोड़ा-सा गुलाल | + | थोड़ा-सा गुलाल |
− | गाल पे लगाओ | + | गाल पे लगाओ |
− | भोले सितमगर होली मनाओ | + | भोले सितमगर होली मनाओ |
− | होली तो मनाओ | + | होली तो मनाओ |
− | होली मनाओ। | + | होली मनाओ। |
− | (बिटिया ने पापा को छिपाते हुए देखा था। वह मम्मी को क्लू देने लगी ) | + | (बिटिया ने पापा को छिपाते हुए देखा था। वह मम्मी को क्लू देने लगी ) |
− | बिटिया : (फ़िल्म ‘मासूम’ की गीत-पैरौडी) | + | बिटिया : (फ़िल्म ‘मासूम’ की गीत-पैरौडी) |
− | कमरे में टाटी | + | कमरे में टाटी |
− | टाटी पे मूढ़ा | + | टाटी पे मूढ़ा |
− | मूड़े के पीछे हैं कोई जमूड़ा | + | मूड़े के पीछे हैं कोई जमूड़ा |
− | थोड़ा-थोड़ा-थोड़ा मम्मी | + | थोड़ा-थोड़ा-थोड़ा मम्मी |
− | कम्बल उसने ओढ़ा। | + | कम्बल उसने ओढ़ा। |
− | (इंटरल्यूड के रूप में लकड़ी की काठी वाला संगीत चल रहा है। श्रीमती जी बिटिया का इशारा समझकर मूढ़े के पीछे जाती हैं। श्रीमान पतिदेव मुस्कुराते हुए उठते हैं पर गुलाल की थाली देखकर सहम जाते हैं। श्रीमती जी थाली उनकी तरफ़ बढ़ाती हैं। पतिदेव शर्माते हुए थोड़ा-सा गुलाल उनके गाल पर लगाते हैं। बिटिया इन्हें देखकर प्रसन्न होती है। फिर श्रीमती जी चुटकी भर गुलाल पतिदेव की मांग में भर देती हैं। बिटिया खिलखिलाती है। श्रीमती जी पूरी थाली पतिदेव के सिर पर उलट देती हैं। पतिदेव सिर फड़फड़ाते हैं, गुलाल उड़ता है। अगले गीत की रिद्म शुरु हो जाती है।) | + | (इंटरल्यूड के रूप में लकड़ी की काठी वाला संगीत चल रहा है। श्रीमती जी बिटिया का इशारा समझकर मूढ़े के पीछे जाती हैं। श्रीमान पतिदेव मुस्कुराते हुए उठते हैं पर गुलाल की थाली देखकर सहम जाते हैं। श्रीमती जी थाली उनकी तरफ़ बढ़ाती हैं। पतिदेव शर्माते हुए थोड़ा-सा गुलाल उनके गाल पर लगाते हैं। बिटिया इन्हें देखकर प्रसन्न होती है। फिर श्रीमती जी चुटकी भर गुलाल पतिदेव की मांग में भर देती हैं। बिटिया खिलखिलाती है। श्रीमती जी पूरी थाली पतिदेव के सिर पर उलट देती हैं। पतिदेव सिर फड़फड़ाते हैं, गुलाल उड़ता है। अगले गीत की रिद्म शुरु हो जाती है।) |
− | पतिदेव : (मन्ना डे का गाया हुआ गीत) | + | पतिदेव : (मन्ना डे का गाया हुआ गीत) |
− | कहां लाके मारा रे | + | कहां लाके मारा रे |
− | मारा रे मआराआरे | + | मारा रे मआराआरे |
− | कहां लाके मारा रे। | + | कहां लाके मारा रे। |
− | (पैरौडी ‘लागा चुनरी में दाग़’) | + | (पैरौडी ‘लागा चुनरी में दाग़’) |
− | डाला सिर पे गुलाल | + | डाला सिर पे गुलाल |
− | हटाऊं कैसे ? | + | हटाऊं कैसे ? |
− | धुलवाऊं कैसे ? | + | धुलवाऊं कैसे ? |
− | डाला... | + | डाला... |
− | होली मेरीजान की दुश्मन | + | होली मेरीजान की दुश्मन |
− | है जी का जंजाल | + | है जी का जंजाल |
− | बाहर से मैं आया बचकर | + | बाहर से मैं आया बचकर |
− | घर में मला गुलाल। | + | घर में मला गुलाल। |
− | ओ ऽऽ होली निगोड़ी से खुद को | + | ओ ऽऽ होली निगोड़ी से खुद को |
− | बचाऊं कैसे, कहीं जाऊं कैसे ? | + | बचाऊं कैसे, कहीं जाऊं कैसे ? |
− | डाला सिर पे गुलाल, | + | डाला सिर पे गुलाल, |
− | हटाऊं कैसे) | + | हटाऊं कैसे) |
− | (दूसरे कमरे से भाभी आती है और इतराते हुए गाती है) | + | (दूसरे कमरे से भाभी आती है और इतराते हुए गाती है) |
− | भाभी (पैरौडी-माइ नेम इज लखन) | + | भाभी (पैरौडी-माइ नेम इज लखन) |
− | धिनाधिन ता... | + | धिनाधिन ता... |
− | रम्पम्पम रम्पम्पम | + | रम्पम्पम रम्पम्पम |
− | ए जी ओ जी लो जी सुनो जी | + | ए जी ओ जी लो जी सुनो जी |
− | मैं तुम्हारी भौजी अब मत डरो जी | + | मैं तुम्हारी भौजी अब मत डरो जी |
− | जो इसने कर डाला | + | जो इसने कर डाला |
− | वो तुम करो जी | + | वो तुम करो जी |
− | टैट फ़ौर का टिट | + | टैट फ़ौर का टिट |
− | टिट फ़ौर टैट | + | टिट फ़ौर टैट |
− | बिल्कुल राइट है दैट | + | बिल्कुल राइट है दैट |
− | इसको कर दो तुम सैट | + | इसको कर दो तुम सैट |
− | इसको कर दो तुम सैट। | + | इसको कर दो तुम सैट। |
− | (पतिदेव भाभी की बातों से उत्साहित नहीं हुए, मायूस हैं। बिटिया अपने मम्मी-पापा को देखकर गाती है।) | + | (पतिदेव भाभी की बातों से उत्साहित नहीं हुए, मायूस हैं। बिटिया अपने मम्मी-पापा को देखकर गाती है।) |
− | बिटिया : है ना | + | बिटिया : है ना |
− | बोलो बोलो | + | बोलो बोलो |
− | पापा को मम्मी से | + | पापा को मम्मी से |
− | मम्मी को पापा से खार है | + | मम्मी को पापा से खार है |
− | खार है। | + | खार है। |
− | है ना बोलो बोलो | + | है ना बोलो बोलो |
− | है ना बोलो बोलो। | + | है ना बोलो बोलो। |
− | होली मां को प्यारी है | + | होली मां को प्यारी है |
− | की पूरी तैयारी है | + | की पूरी तैयारी है |
− | पापा लेकिन डरते हैं | + | पापा लेकिन डरते हैं |
− | सबसे छिपते फिरते हैं। | + | सबसे छिपते फिरते हैं। |
− | है ना बोलो बोलो | + | है ना बोलो बोलो |
− | है ना बोलो बोलो। | + | है ना बोलो बोलो। |
− | (बाहर से कुछ शोर-शराबे की आवाज़ें आती हैं, तीन का ध्यान उधर जाता है। ‘गोरी का साजन, साजन की गोरी’ संगीत शुरू हो जाता है। बाहर रंग से लबरेज़ होली की टोली है। टोली नायक गाता है।) | + | (बाहर से कुछ शोर-शराबे की आवाज़ें आती हैं, तीन का ध्यान उधर जाता है। ‘गोरी का साजन, साजन की गोरी’ संगीत शुरू हो जाता है। बाहर रंग से लबरेज़ होली की टोली है। टोली नायक गाता है।) |
− | टोली नायक : पैरौडी ‘गोरी का साजन, साजन की गोरी’) | + | टोली नायक : पैरौडी ‘गोरी का साजन, साजन की गोरी’) |
− | होली के भडुए | + | होली के भडुए |
− | भडुओं की होली | + | भडुओं की होली |
− | लो जी शुरू हो गई सरस टोली | + | लो जी शुरू हो गई सरस टोली |
− | टररम्पम्पम | + | टररम्पम्पम |
− | वो आ रही है मस्ती में देखो | + | वो आ रही है मस्ती में देखो |
− | भंग की खा करके गोली टरम्पम्पम | + | भंग की खा करके गोली टरम्पम्पम |
− | टोली नायिका : | + | टोली नायिका : |
− | होली के भडुए | + | होली के भडुए |
− | भडुओ की होली | + | भडुओ की होली |
− | लो जी.. | + | लो जी.. |
टोली उपनायक : दरवाज़ा खटखटाकर गाता है। पैरोडी ‘जरा मन की किवडिया खोल’) | टोली उपनायक : दरवाज़ा खटखटाकर गाता है। पैरोडी ‘जरा मन की किवडिया खोल’) | ||
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20:19, 3 जून 2011 के समय का अवतरण
पात्र
पतिदेव
श्रीमती जी
भाभी
टोली नायक
टोली उपनायक
टोली नायिका
टोली उपनायिका
भूतक-1
भूतक-2
भूतक-3
भूतक-4
बिटिया
(पतिदेव दबे पांव घर आए और मूढ़े के पीछे छिपने लगे। उनकी सात बरस की बिटिया ने उन्हें छिपते हुए देख लिया।)
पतिदेव : (फ़िल्म ‘हकीक़त’ की गीत-पैरौडी)
मैं ये सोचकर अपने घर में छिपा हूं
कि वो घेर लेंगे
सताएंगे मुझको
मगर ना तो देखा
न रंग ही लगाया
न की छेड़खानी
न चंगुल में आया
मैं आहिस्ता-आहिस्ता
बाहर से आया
यहां आ के मैं
लापता हो गया हूं।
(हाथ में गुलाल की तश्तरी लिए हुए श्रीमती जी दूसरे कमरे से इस कमरे में आती हैं। यहां पतिदेव छिपे बैठे हैं। श्रीमती जी नाचते हुए गाती हैं।)
श्रीमती जी: (फ़िल्मी गीत ‘कहां चल दिए, इधर तो आओ’, की पैरौडी)
कहां छिप गए
इधर तो आओ
थोड़ा-सा गुलाल
गाल पे लगाओ
भोले सितमगर होली मनाओ
होली तो मनाओ
होली मनाओ।
(बिटिया ने पापा को छिपाते हुए देखा था। वह मम्मी को क्लू देने लगी )
बिटिया : (फ़िल्म ‘मासूम’ की गीत-पैरौडी)
कमरे में टाटी
टाटी पे मूढ़ा
मूड़े के पीछे हैं कोई जमूड़ा
थोड़ा-थोड़ा-थोड़ा मम्मी
कम्बल उसने ओढ़ा।
(इंटरल्यूड के रूप में लकड़ी की काठी वाला संगीत चल रहा है। श्रीमती जी बिटिया का इशारा समझकर मूढ़े के पीछे जाती हैं। श्रीमान पतिदेव मुस्कुराते हुए उठते हैं पर गुलाल की थाली देखकर सहम जाते हैं। श्रीमती जी थाली उनकी तरफ़ बढ़ाती हैं। पतिदेव शर्माते हुए थोड़ा-सा गुलाल उनके गाल पर लगाते हैं। बिटिया इन्हें देखकर प्रसन्न होती है। फिर श्रीमती जी चुटकी भर गुलाल पतिदेव की मांग में भर देती हैं। बिटिया खिलखिलाती है। श्रीमती जी पूरी थाली पतिदेव के सिर पर उलट देती हैं। पतिदेव सिर फड़फड़ाते हैं, गुलाल उड़ता है। अगले गीत की रिद्म शुरु हो जाती है।)
पतिदेव : (मन्ना डे का गाया हुआ गीत)
कहां लाके मारा रे
मारा रे मआराआरे
कहां लाके मारा रे।
(पैरौडी ‘लागा चुनरी में दाग़’)
डाला सिर पे गुलाल
हटाऊं कैसे ?
धुलवाऊं कैसे ?
डाला...
होली मेरीजान की दुश्मन
है जी का जंजाल
बाहर से मैं आया बचकर
घर में मला गुलाल।
ओ ऽऽ होली निगोड़ी से खुद को
बचाऊं कैसे, कहीं जाऊं कैसे ?
डाला सिर पे गुलाल,
हटाऊं कैसे)
(दूसरे कमरे से भाभी आती है और इतराते हुए गाती है)
भाभी (पैरौडी-माइ नेम इज लखन)
धिनाधिन ता...
रम्पम्पम रम्पम्पम
ए जी ओ जी लो जी सुनो जी
मैं तुम्हारी भौजी अब मत डरो जी
जो इसने कर डाला
वो तुम करो जी
टैट फ़ौर का टिट
टिट फ़ौर टैट
बिल्कुल राइट है दैट
इसको कर दो तुम सैट
इसको कर दो तुम सैट।
(पतिदेव भाभी की बातों से उत्साहित नहीं हुए, मायूस हैं। बिटिया अपने मम्मी-पापा को देखकर गाती है।)
बिटिया : है ना
बोलो बोलो
पापा को मम्मी से
मम्मी को पापा से खार है
खार है।
है ना बोलो बोलो
है ना बोलो बोलो।
होली मां को प्यारी है
की पूरी तैयारी है
पापा लेकिन डरते हैं
सबसे छिपते फिरते हैं।
है ना बोलो बोलो
है ना बोलो बोलो।
(बाहर से कुछ शोर-शराबे की आवाज़ें आती हैं, तीन का ध्यान उधर जाता है। ‘गोरी का साजन, साजन की गोरी’ संगीत शुरू हो जाता है। बाहर रंग से लबरेज़ होली की टोली है। टोली नायक गाता है।)
टोली नायक : पैरौडी ‘गोरी का साजन, साजन की गोरी’)
होली के भडुए
भडुओं की होली
लो जी शुरू हो गई सरस टोली
टररम्पम्पम
वो आ रही है मस्ती में देखो
भंग की खा करके गोली टरम्पम्पम
टोली नायिका :
होली के भडुए
भडुओ की होली
लो जी..
टोली उपनायक : दरवाज़ा खटखटाकर गाता है। पैरोडी ‘जरा मन की किवडिया खोल’)