भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"शव-साधना / अशोक कुमार शुक्ला" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
 
<poem>
 
<poem>
 
प्रिये !
 
प्रिये !
उन आन्तरिक आत्मीय क्षणों में  
+
उन आन्तरिक  
तुम्हारा प्रतिक्रिया शून्य और  
+
आत्मीय क्षणों में  
निष्प्राण पडा रहना  
+
जब प्रकृति को
 +
निरन्तरता और अमरता
 +
प्रदान करने वाला
 +
अमृत छलक रहा हो
 +
तो तुम्हारा  
 +
प्रतिक्रिया शून्य और निष्प्राण  
 +
पडा रहना  
 
विचलित करता है मुझे  
 
विचलित करता है मुझे  
सोचता हूं  
+
...सोचता हूं  
 
क्या सचमुच  
 
क्या सचमुच  
 
तुम आधा अंग हो मेरा ?
 
तुम आधा अंग हो मेरा ?
पंक्ति 22: पंक्ति 28:
 
वात्सायन की शव साधना..!
 
वात्सायन की शव साधना..!
 
</poem>
 
</poem>
 +
[https://www.youtube.com/watch?v=O_5QV4gTR7I&feature=youtu.be|कविता यू ट्यूब पर सुनें]

17:52, 28 जनवरी 2018 के समय का अवतरण

प्रिये !
उन आन्तरिक
आत्मीय क्षणों में
जब प्रकृति को
निरन्तरता और अमरता
प्रदान करने वाला
अमृत छलक रहा हो
तो तुम्हारा
प्रतिक्रिया शून्य और निष्प्राण
पडा रहना
विचलित करता है मुझे
...सोचता हूं
क्या सचमुच
तुम आधा अंग हो मेरा ?
या
शव आसन की सी
तुम्हारी मुद्रा में
आधा अधूरा ही मै
कर रहा हूं
वात्सायन की शव साधना..!

यू ट्यूब पर सुनें