Last modified on 13 मार्च 2011, at 03:31

"मेरे दर्द को जो ज़बाँ मिले / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़" के अवतरणों में अंतर

(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ }} मेरा दर्द नग़्मा-ए-बेसदा<br> मेरी ज़ा...)
 
छो ("मेरे दर्द को जो ज़बाँ मिले / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़" सुरक्षित कर दिया ([edit=sysop] (indefinite) [move=sysop] (indefinite)))
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 2: पंक्ति 2:
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
 
|रचनाकार=फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
 +
|संग्रह=शामे-शह्‍रे-याराँ / फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
 
}}
 
}}
 +
{{KKCatNazm}}‎
 +
<poem>
 +
मेरा दर्द नग़मा-ए-बे-सदा<ref>बे-आवाज़ गीत</ref>
 +
मेरी ज़ात<ref>अस्तित्व</ref> ज़र्रा-ए-बे-निशाँ<ref>बे-निशान कण</ref>
 +
मेरे दर्द को जो ज़बाँ मिले
 +
मुझे अपना नामो-निशाँ मिले
  
 +
मेरी ज़ात को जो निशाँ मिले
 +
मुझे राज़े-नज़्मे-जहाँ<ref>विश्व-व्यवस्था का रहस्य</ref> मिले
 +
जो मुझे ये राज़े-निहाँ<ref>छुपा हुआ</ref> मिले
 +
मेरी ख़ामशी को बयाँ मिले
 +
मुझे क़ायनात की सरवरी<ref>दुनिया की बादशाही</ref>
 +
मुझे दौलते-दो-जहाँ<ref>दोनों दुनियाओं की दौलत</ref> मिले
 +
</poem>
  
मेरा दर्द नग़्मा-ए-बेसदा<br>
+
{{KKMeaning}}
मेरी ज़ात ज़र्रा-ए-बेनिशाँ<br>
+
मेरे दर्द को जो ज़ुबाँ मिले<br>
+
मुझे अपना नाम-ओ-निशाँ मिले<br>
+
मेरी ज़ात को जो निशाँ मिले<br>
+
मुझे राज़-ए-नज़्म-ए-जहाँ मिले<br>
+
जो मुझे ये राज़-ए-निहाँ मिले<br>
+
मेरी ख़ामोशी को बयाँ मिले<br>
+
मुझे क़ायनात की सरवरी<br>
+
मुझे दौलत-ए-दो-जहाँ मिले
+

03:31, 13 मार्च 2011 के समय का अवतरण

मेरा दर्द नग़मा-ए-बे-सदा<ref>बे-आवाज़ गीत</ref>
मेरी ज़ात<ref>अस्तित्व</ref> ज़र्रा-ए-बे-निशाँ<ref>बे-निशान कण</ref>
मेरे दर्द को जो ज़बाँ मिले
मुझे अपना नामो-निशाँ मिले

मेरी ज़ात को जो निशाँ मिले
मुझे राज़े-नज़्मे-जहाँ<ref>विश्व-व्यवस्था का रहस्य</ref> मिले
जो मुझे ये राज़े-निहाँ<ref>छुपा हुआ</ref> मिले
मेरी ख़ामशी को बयाँ मिले
मुझे क़ायनात की सरवरी<ref>दुनिया की बादशाही</ref>
मुझे दौलते-दो-जहाँ<ref>दोनों दुनियाओं की दौलत</ref> मिले

शब्दार्थ
<references/>