भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"चैतावरि १ / शिव कुमार झा 'टिल्लू'" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=शिव कुमार झा 'टिल्लू' |अनुवादक= |सं...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
पंक्ति 8: पंक्ति 8:
 
{{KKCatMaithiliRachna}}
 
{{KKCatMaithiliRachna}}
 
<poem>मास मधुर  बिनु कंत  हो रामा विरह  अगिन भेल !   
 
<poem>मास मधुर  बिनु कंत  हो रामा विरह  अगिन भेल !   
कतेक दिवस धरि बाट निहारल  
+
कतेक दिवस धरि बाट निहारल  
 
अविरल रैन वसंत हो रामा चान मलिन भेल !
 
अविरल रैन वसंत हो रामा चान मलिन भेल !
 
सुनल मुरारी हेरथि राधा  
 
सुनल मुरारी हेरथि राधा  
 
हमर दुखक नहि अंत हो रामा  बैमान  नलिन भेल  !
 
हमर दुखक नहि अंत हो रामा  बैमान  नलिन भेल  !
 
टीसक टीस कही ककरा सँ  
 
टीसक टीस कही ककरा सँ  
छोहक  गणित दिगंत हो रामा  प्राण  महीन भेल  
+
छोहक  गणित दिगंत हो रामा  प्राण  महीन भेल  
 
सहधर्मी नव दर्शन हेरथि  
 
सहधर्मी नव दर्शन हेरथि  
 
एकसर गगन अनंत हो रामा शान तुहिन भेल !
 
एकसर गगन अनंत हो रामा शान तुहिन भेल !
 
रंगपंचमी के काल लगीच अछि
 
रंगपंचमी के काल लगीच अछि
 
कत' छथि रक्षक पंत हो रामा  छान दुर्दिन भेल !</poem>
 
कत' छथि रक्षक पंत हो रामा  छान दुर्दिन भेल !</poem>

18:06, 19 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण

मास मधुर बिनु कंत हो रामा विरह अगिन भेल !
कतेक दिवस धरि बाट निहारल
अविरल रैन वसंत हो रामा चान मलिन भेल !
सुनल मुरारी हेरथि राधा
हमर दुखक नहि अंत हो रामा बैमान नलिन भेल  !
टीसक टीस कही ककरा सँ
छोहक गणित दिगंत हो रामा प्राण महीन भेल
सहधर्मी नव दर्शन हेरथि
एकसर गगन अनंत हो रामा शान तुहिन भेल !
रंगपंचमी के काल लगीच अछि
कत' छथि रक्षक पंत हो रामा छान दुर्दिन भेल !