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दुनिया चढ़ा रही है मज़ारों पे चादरें
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                                                          Ibn-e-Inshaa
लेकिन खबर है कोई यहाँ बेकफन भी है - मसउदा हयात
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अपनी आवाज में दुनिया को डुबो दूं लेकिन,
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तुमसे मिलती हुई आवाज कहां से लाऊं।
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सोचते थे कि मुंसिफ से करेंगे फरियाद
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वह भी कम्बख्त तेरा चाहने वाला निकला।

19:27, 14 फ़रवरी 2008 के समय का अवतरण

                                                          Ibn-e-Inshaa

अपनी आवाज में दुनिया को डुबो दूं लेकिन, तुमसे मिलती हुई आवाज कहां से लाऊं।

सोचते थे कि मुंसिफ से करेंगे फरियाद वह भी कम्बख्त तेरा चाहने वाला निकला।