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"तुझको याद करूँ मैं / कमलेश द्विवेदी" के अवतरणों में अंतर

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<poem>मुझको कितनी चाह तुम्हारी.
+
<poem>जब-जब तुझको याद करूँ मैं.
हर पल देखूँ राह तुम्हारी.
+
तनहा दिल आबाद करूँ मै.
  
मन करता है गीत सुनाऊँ,
+
बंधन है पर चाहत का है,
और सुनूँ मैं वाह तुम्हारी.
+
क्यों खुद को आजाद करूँ मैं.
  
आहत दिल को कितनी राहत,
+
तेरी प्रिय भाषा में अपने,
देती एक निगाह तुम्हारी.
+
भावों का अनुवाद करूँ मैं.
  
भूल न पाऊँ याद कभी भी,
+
सपनों की दुनिया में अक्सर,
आह तुम्हारी आह तुम्हारी.
+
तुझसे ही संवाद करूँ मैं.
  
सागर गहरा या तुम गहरे,
+
जो चाहूँ वो तू दे देता,
कैसे पाऊँ थाह तुम्हारी.
+
क्यों कोई फरियाद करूँ मैं.
 +
 
 +
तुझको देख भुला दूँ खुद को,
 +
फिर क्या उसके बाद करूँ मैं.
  
आओ-देखो-जानो मुझको,
 
कितनी है परवाह तुम्हारी.
 
 
</poem>
 
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19:59, 24 दिसम्बर 2015 के समय का अवतरण

जब-जब तुझको याद करूँ मैं.
तनहा दिल आबाद करूँ मै.

बंधन है पर चाहत का है,
क्यों खुद को आजाद करूँ मैं.

तेरी प्रिय भाषा में अपने,
भावों का अनुवाद करूँ मैं.

सपनों की दुनिया में अक्सर,
तुझसे ही संवाद करूँ मैं.

जो चाहूँ वो तू दे देता,
क्यों कोई फरियाद करूँ मैं.

तुझको देख भुला दूँ खुद को,
फिर क्या उसके बाद करूँ मैं.