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"जैसे जब से तारा देखा / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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--शुक्र, स्वाति, लुब्धक-- <br>
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मैं मिट्टी हूँ; <br>
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धुल कर मंज कर <br>
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धुल कर मंज कर
जिया। <br>
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एकाकी से एक हुआ।
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जिया।
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21:36, 3 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

 
क्या दिया-लिया?
जैसे
जब तारा देखा
सद्यःउदित
—शुक्र, स्वाति, लुब्धक—
कभी क्षण-भर
यह बिसर गया
मैं मिट्टी हूँ;
जब से प्यार किया,
जब भी उभरा यह बोध
कि तुम प्रिय हो—
सद्यःसाक्षात् हुआ—
सहसा
देने के अहंकार
पाने की ईहा से
होने के अपनेपन
(एकाकीपन!) से
उबर गया।
जब-जब यों भूला,
धुल कर मंज कर
एकाकी से एक हुआ।
जिया।