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"कालेमेग्दान / अज्ञेय" के अवतरणों में अंतर

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मनुष्यों को मानो खोजता हो धरती पर... <br>
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ईश्वर रे, मेर बेचारे, <br>
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''कालेमेग्दान'': सावा और दोगउ (डैन्यूब) के संगम पर प्राचान दुर्ग, जिस के भीतर अब अस्त्र-संग्रहालय भी है।
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''कालेमेग्दान'': सावा और दोगउ (डैन्यूब) के संगम पर प्राचान दुर्ग, जिस के भीतर अब अस्त्र-संग्रहालय भी है।</span>
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21:47, 3 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण

इधर
परकोटे और भीतरी दीवार के बीच
लम्बी खाई में
ढंग से सँवरे हुए
पिछले महायुद्ध के हथियारों के ढूह:
रूण्डे टैंक, टुण्डी तोपें, नकचिपटे गोला-फेंक—
सब की पपोटे-रहित अन्धी आँखें
ताक रहीं आकाश।

उधर
परकोटे और दीवार के बीच टीले पर
बेढंगे झंखाड़ों से अधढँके
मठ और गिरजाघर के खंडहर
चौकाठ-रहित खिड़कियों से उमड़ता अंधियार
मनुष्यों को मानों खोजता हो धरती पर...

ईश्वर रे, मेर बेचारे,
तेरे कौन रहे अधिक हत्यारे?

बेओग्राद, युगोस्लाविया]



कालेमेग्दान: सावा और दोगउ (डैन्यूब) के संगम पर प्राचान दुर्ग, जिस के भीतर अब अस्त्र-संग्रहालय भी है।