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"तर यस पालि.. / मनप्रसाद सुब्बा" के अवतरणों में अंतर
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10:36, 16 मार्च 2017 के समय का अवतरण
अन्ना अख्मातोवाको यौटा कवितामा
अलेक्जान्डर हुकुम गर्छ आफ्नो फौजलाई ---
‘सब सल्काइदेओ । तर ..
कविको घरलाई चैं नछुनू ।‘
तर यस पालि
त्यो फौजलाई हुकुम गर्ने
अलेक्जान्डर नभएर अरू नै कोही थियो
त्यसैले
कविता डढ्यो गीत डढ्यो चित्रकला डढ्यो
अनि
कस्सैले नदेख्ने गरी भित्र कता लुकाइराखेको
मन डढ्यो ।