"मोॅन / अनिमेष कुमार" के अवतरणों में अंतर
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अचल भारती |अनुवादक= }} {{KKCatAngikaRachna}} <poem> म...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार= | + | |रचनाकार=अनिमेष कुमार |
|अनुवादक= | |अनुवादक= | ||
}} | }} | ||
पंक्ति 25: | पंक्ति 25: | ||
आरो वहोॅ पारोॅ मेॅ छै | आरो वहोॅ पारोॅ मेॅ छै | ||
है तेॅ चारो दिस छै | है तेॅ चारो दिस छै | ||
− | है तेॅ सबरोॅ साथोॅ मेॅ छै। | + | है तेॅ सबरोॅ साथोॅ मेॅ छै |
+ | मतरकि केकरा फुर्सत छै | ||
+ | जिनगी रोॅ है सच्चाई जानवोॅ | ||
+ | जौनें मनोॅ केॅ | ||
+ | काबू मेॅ करि लेलकों | ||
+ | तेॅ समझोॅ, जिनगी रोॅ, | ||
+ | संतसंग जानी गेलोॅ | ||
+ | आरोॅ आपनोॅ केॅ चिन्ही गेलै | ||
+ | मतरकि है, मोॅन ऐतना | ||
+ | आसानी सेॅ मानै वाला नै छै? | ||
+ | मनोॅ रोॅ भीतरी मेॅ, | ||
+ | हलचल उठतै रहै छै | ||
+ | आरोॅ जिनगी केॅ | ||
+ | कत्त्तेॅ-कत्त्तेॅ हसीन | ||
+ | सपना देखाय छै। | ||
</poem> | </poem> |
19:01, 3 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
मनेॅ कुछु सोचै छै,
कुछु पावै छै
कुछु हेराय छै
ढेरे बातोॅ केॅ निहारै छै
आपनो भीतरी सेॅ झाँकै छै।
मोॅन कखनू दुःखोॅ सेॅ
उदास होय छै,
कखनू खुशी सेॅ।
तरबतर हो जाय छै,
यहे तेॅ मनोॅ रोॅ महिमा छेकै।
जे समझै छै,
मनोॅ के महिमा केॅ
तेॅ वही समझेॅ पारै छै
जिनगी रोॅ सच्चाई केॅ
मनोॅ रोॅ सीमा, असीम छै
है येहोॅ पारोॅ मेॅ छै,
आरो वहोॅ पारोॅ मेॅ छै
है तेॅ चारो दिस छै
है तेॅ सबरोॅ साथोॅ मेॅ छै
मतरकि केकरा फुर्सत छै
जिनगी रोॅ है सच्चाई जानवोॅ
जौनें मनोॅ केॅ
काबू मेॅ करि लेलकों
तेॅ समझोॅ, जिनगी रोॅ,
संतसंग जानी गेलोॅ
आरोॅ आपनोॅ केॅ चिन्ही गेलै
मतरकि है, मोॅन ऐतना
आसानी सेॅ मानै वाला नै छै?
मनोॅ रोॅ भीतरी मेॅ,
हलचल उठतै रहै छै
आरोॅ जिनगी केॅ
कत्त्तेॅ-कत्त्तेॅ हसीन
सपना देखाय छै।