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आँखाँभरि हिउँचुली छङ्छङ् बग्ने खोला | आँखाँभरि हिउँचुली छङ्छङ् बग्ने खोला | ||
फेरियो कि मेरो गाउँ अझै उस्तै होला ! | फेरियो कि मेरो गाउँ अझै उस्तै होला ! | ||
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जहाँ पहिलो पाइला टेकेँ मेरो गाउँघर | जहाँ पहिलो पाइला टेकेँ मेरो गाउँघर | ||
छोडी आएँ धेरै पर आँखैमा छ तर ! | छोडी आएँ धेरै पर आँखैमा छ तर ! | ||
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22:13, 23 सितम्बर 2016 के समय का अवतरण
आँखाँभरि हिउँचुली छङ्छङ् बग्ने खोला
फेरियो कि मेरो गाउँ अझै उस्तै होला !
पुल पनि भत्क्यो भन्छन् पाटीपौवा ढल्यो भन्छन्
यसपालिको डढेलोमा गाउँले–मन जल्यो भन्छन्
उकालीको एक्ले वर उस्तै छ कि सुक्यो
कप्तानबाको लडाइँको कथा कहाँ पुग्यो !
साथीभाइ कहाँ होलान् कस्ती होली सानी अचेल
सताउँदा मैले उसलाई रुन्थी पीर मानी टल्पल्
जहाँ पहिलो पाइला टेकेँ मेरो गाउँघर
छोडी आएँ धेरै पर आँखैमा छ तर !