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रायपुर के प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ठाकुर प्यारेलाल के पुत्र। मूलतः छत्तीसगढ़ी गीतकार।
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'''संंक्षिप्त परिचय'''
  
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रायपुर के प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ठाकुर प्यारेलाल के पुत्र। मूलतः छत्तीसगढ़ी गीतकार। नए स्वर (भाग 1, 2), लोहे के नगर (हिन्दी संग्रह), नये विश्वास के बादल, गीतों के शिलालेख, छत्तीसगढ़ी गीत अउ कविता, छत्तीसगढ़ के रत्न, जय छत्तीसगढ़, सुरता के चंदन, छत्तीसगढ़ के इतिहास पुरुष : शहीद वीर नारायण सिंह (खण्डकाव्य), कुंजबिहारी चौबे की छत्तीसगढ़ी कविताएँ (संपादन)। अंचल की दूसरी छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘घर द्वार’ के लिए गीत लिखा। छत्तीसगढ़ केसरी का संपादन। 1961 में छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष चुने गए। छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन से 1956 से प्रमुखता से जुड़े रहे। छत्तीसगढ़ शासन का वर्ष 2001 का पं. सुन्दरलाल शर्मा सम्मान।
नए स्वर (भाग 1, 2), लोहे के नगर (हिन्दी संग्रह)
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नये विश्वास के बादल, गीतों के शिलालेख, छत्तीसगढ़ी गीत अउ कविता, छत्तीसगढ़ के रत्न, जय छत्तीसगढ़, सुरता के चंदन, छत्तीसगढ़ के इतिहास पुरुष : शहीद वीर नारायण सिंह (खण्डकाव्य), कुंजबिहारी चौबे की छत्तीसगढ़ी कविताएँ (संपादन)।
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'''विशेष'''
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'''विस्तृत परिचय'''
अंचल की दूसरी छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘घर द्वार’ के लिए गीत लिखा। छत्तीसगढ़ केसरी का संपादन। 1961 में छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष चुने गए। छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन से 1956 से प्रमुखता से जुड़े रहे। छत्तीसगढ़ शासन का वर्ष 2001 का पं. सुन्दरलाल शर्मा सम्मान।
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हरि ठाकुर का जन्मः १६ अगस्त १९२७, में रायपुर में हुआ उन्होंने बी.ए., एल एल. बी. तक शिक्षा प्राप्त की तथा वकालत को अपना व्यवसाय बनाया। आजादी की लडाई के मह्त्वपूर्ण सिपाही स्व. श्री हरि ठाकुर हिन्दी के वरिष्ठतम गीतकारों में एक सम्मानित नाम हैं। इनकी 30 से अधिक कृतियाँ प्रकाशित और चर्चित रही हैं। छत्तीसगढ के महत्वपूर्ण इतिहासविद्, स्वतंत्रतासंग्राम सेनानी के रूप में जाने जाने वाले हरि ठाकुर की छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण में महती भूमिका रही है। वे 1942 के आंदोलन से लेकर 1955 के गोवा मुक्ति स्वतंत्रता संग्राम तक सक्रिय रहे। भूदान आंदोलन में भागीदारी की, 1954 में नागपुर भूदान की पत्रिका साम्ययोग का संपादन किया और 1960 में छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता की। 1965-65 में वे संज्ञा मासिक पत्रिका के संपादक बने और 1967-68 में साप्ताहिक राष्ट्रबंधु के। वे छत्तीसगढ़ रारज्य निर्माण संयोजन समिति के संयोजक भी रहे। 1995 में उन्होंने सृजन सम्मान संस्था की स्थापना गठन और 2001 तक इसके अध्यक्ष रहे।
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01. लोहे का नगर
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02. नये विश्वास के बादल
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03. जय छत्तीसगढ़
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04. पौरूषः नये संदर्भ
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05. मुक्ति गीत
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06. धान के कटोरा
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07. बानी हे अनमोल
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08. छत्तीसगढ़ी गीत अउ कविता
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09. गीतों के शिलालेख
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10. शहीद वीर नारायण सिंह
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11. हँसी एक नाव सी (गीत संकलन)
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इतिहास, शोध, जीवनी
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01. त्यागमूर्ति ठा. प्यारे लाल सिंह
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02. छत्तीसगढ़ के रत्न
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03. उत्तर कोसल बनाम दक्षिण कोसल
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05. छत्तीसगढ़ के इतिहास पुरूष
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06. छत्तीसगढ़ गाथा
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07. जल, जंगल और ज़मीन के संघर्ष की शुरूआत
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08. छत्तीसगढ़ राज्य का प्रांरभिक इतिहास
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09. कोसल की भाषा कोसली
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10. छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक विकास
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सम्मान
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छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य सम्मेलन। श्री चक्रधर कला केंद्र रायगढ़, महात्मा गाँधी जन्म शताब्दी समारोह, मध्यप्रदेश, रविशंकर विश्वविद्यालय, रामचंद्र देशमुख सम्मान, भिलाई, महंत नरेंद्रदास स्मृति सम्मान, भोपाल, छत्तीसगढ़ी साहित्य सम्मेलन द्वारा नागरिक अभिनंदन, रायपुर, महाकोशल अलंकरण आदि सैकड़ो सम्मान एवं पुरस्कार। अनेक विश्वविद्यालयों एवं स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रमों में रचनाओं का समादरण।
 
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19:54, 26 अक्टूबर 2016 के समय का अवतरण

संंक्षिप्त परिचय

रायपुर के प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ठाकुर प्यारेलाल के पुत्र। मूलतः छत्तीसगढ़ी गीतकार। नए स्वर (भाग 1, 2), लोहे के नगर (हिन्दी संग्रह), नये विश्वास के बादल, गीतों के शिलालेख, छत्तीसगढ़ी गीत अउ कविता, छत्तीसगढ़ के रत्न, जय छत्तीसगढ़, सुरता के चंदन, छत्तीसगढ़ के इतिहास पुरुष : शहीद वीर नारायण सिंह (खण्डकाव्य), कुंजबिहारी चौबे की छत्तीसगढ़ी कविताएँ (संपादन)। अंचल की दूसरी छत्तीसगढ़ी फिल्म ‘घर द्वार’ के लिए गीत लिखा। छत्तीसगढ़ केसरी का संपादन। 1961 में छत्तीसगढ़ हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष चुने गए। छत्तीसगढ़ राज्य आंदोलन से 1956 से प्रमुखता से जुड़े रहे। छत्तीसगढ़ शासन का वर्ष 2001 का पं. सुन्दरलाल शर्मा सम्मान।

विस्तृत परिचय

हरि ठाकुर का जन्मः १६ अगस्त १९२७, में रायपुर में हुआ उन्होंने बी.ए., एल एल. बी. तक शिक्षा प्राप्त की तथा वकालत को अपना व्यवसाय बनाया। आजादी की लडाई के मह्त्वपूर्ण सिपाही स्व. श्री हरि ठाकुर हिन्दी के वरिष्ठतम गीतकारों में एक सम्मानित नाम हैं। इनकी 30 से अधिक कृतियाँ प्रकाशित और चर्चित रही हैं। छत्तीसगढ के महत्वपूर्ण इतिहासविद्, स्वतंत्रतासंग्राम सेनानी के रूप में जाने जाने वाले हरि ठाकुर की छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण में महती भूमिका रही है। वे 1942 के आंदोलन से लेकर 1955 के गोवा मुक्ति स्वतंत्रता संग्राम तक सक्रिय रहे। भूदान आंदोलन में भागीदारी की, 1954 में नागपुर भूदान की पत्रिका साम्ययोग का संपादन किया और 1960 में छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य सम्मेलन की अध्यक्षता की। 1965-65 में वे संज्ञा मासिक पत्रिका के संपादक बने और 1967-68 में साप्ताहिक राष्ट्रबंधु के। वे छत्तीसगढ़ रारज्य निर्माण संयोजन समिति के संयोजक भी रहे। 1995 में उन्होंने सृजन सम्मान संस्था की स्थापना गठन और 2001 तक इसके अध्यक्ष रहे।

कृतियाँ:

कविता संग्रह

01. लोहे का नगर
02. नये विश्वास के बादल
03. जय छत्तीसगढ़
04. पौरूषः नये संदर्भ
05. मुक्ति गीत
06. धान के कटोरा
07. बानी हे अनमोल
08. छत्तीसगढ़ी गीत अउ कविता
09. गीतों के शिलालेख
10. शहीद वीर नारायण सिंह
11. हँसी एक नाव सी (गीत संकलन)

इतिहास, शोध, जीवनी

01. त्यागमूर्ति ठा. प्यारे लाल सिंह
02. छत्तीसगढ़ के रत्न
03. उत्तर कोसल बनाम दक्षिण कोसल
05. छत्तीसगढ़ के इतिहास पुरूष
06. छत्तीसगढ़ गाथा
07. जल, जंगल और ज़मीन के संघर्ष की शुरूआत
08. छत्तीसगढ़ राज्य का प्रांरभिक इतिहास
09. कोसल की भाषा कोसली
10. छत्तीसगढ़ का सांस्कृतिक विकास

सम्मान

छत्तीसगढ़ हिंदी साहित्य सम्मेलन। श्री चक्रधर कला केंद्र रायगढ़, महात्मा गाँधी जन्म शताब्दी समारोह, मध्यप्रदेश, रविशंकर विश्वविद्यालय, रामचंद्र देशमुख सम्मान, भिलाई, महंत नरेंद्रदास स्मृति सम्मान, भोपाल, छत्तीसगढ़ी साहित्य सम्मेलन द्वारा नागरिक अभिनंदन, रायपुर, महाकोशल अलंकरण आदि सैकड़ो सम्मान एवं पुरस्कार। अनेक विश्वविद्यालयों एवं स्कूली शिक्षा के पाठ्यक्रमों में रचनाओं का समादरण।