अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= गिरिधर राठी |संग्रह= निमित्त / गिरिधर राठी }} क्या पता ह...) |
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02:31, 24 जून 2009 के समय का अवतरण
क्या पता हम ने जो हत्यारे किए थे तैयार
सो ही रहे हों
या उनका बारूद ख़्त्म हो गया हो
या वे किसी और ही मुक़ाम पर हों
मुमकिन है वे भी डर ही गए हों
या फिर उन्हें महीने का वेतन न मिला हो...
तब तो यही हत्यारे बचे जो हैं अब हमारे सामने
चौकस और लैस
बंदूकें भरे हुए
गोली दाग़ने को तैयार
ऎन सामने