{{KKRachna
|रचनाकार=जहीर कुरैशी
|अनुवादक=
|संग्रह=भीड़ में सबसे अलग / जहीर कुरैशी
}}
[[Category:ग़ज़ल]]{{KKCatGhazal}}<poem>
अनावश्यक से मुझको प्यार कम है
मेरे खेतों में 'खरपतवार' कम है
मेरे खेतों में 'खरपतवार' कम है अभी तुम कल्पना में उड़ रहे हो तुम्हारा सत्य से व्यवहार कम है
मैं यूँ तो सारी धरती नाप आया
मगर, मेरे लिए संसार कम है
जो ये जोखिम उठाना चाहता है
वो जोखिम के लिए तैयार कम है
सुखी हो तुम इसी कारण सुखी हो
तुम्हारे मन में हाहाकार कम है
वो प्रतिभावान है, ये तो सही है
मगर, ये भी सही है— धार कम है
बहुत ऊँची इमारत मत उठाओ
अभी उसके लिए आधार कम है
</poem>