भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बाघ आया उस रात / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नागार्जुन }} ''वो इधर से निकला उधर चला गया'' वो आँखें फैल...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 5 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार=नागार्जुन | + | |रचनाकार=नागार्जुन |
}} | }} | ||
− | + | {{KKCatKavita}} | |
− | + | <poem> | |
− | + | "वो इधर से निकला | |
− | + | उधर चला गया" | |
− | उधर चला गया | + | |
− | + | ||
वो आँखें फैलाकर | वो आँखें फैलाकर | ||
− | |||
बतला रहा था- | बतला रहा था- | ||
− | + | "हाँ बाबा, बाघ आया उस रात, | |
− | + | आप रात को बाहर न निकलो! | |
− | + | जाने कब बाघ फिर से बाहर निकल जाए!" | |
− | आप रात को बाहर न | + | "हाँ वो ही, वो ही जो |
− | + | ||
− | जाने कब बाघ फिर से बाहर निकल जाए! | + | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
उस झरने के पास रहता है | उस झरने के पास रहता है | ||
− | + | वहाँ अपन दिन के वक़्त | |
− | वहाँ अपन दिन के | + | |
− | + | ||
गए थे न एक रोज़? | गए थे न एक रोज़? | ||
− | |||
बाघ उधर ही तो रहता है | बाघ उधर ही तो रहता है | ||
− | + | बाबा, उसके दो बच्चे हैं | |
− | बाबा, उसके दो | + | |
− | + | ||
बाघिन सारा दिन पहरा देती है | बाघिन सारा दिन पहरा देती है | ||
− | |||
बाघ या तो सोता है | बाघ या तो सोता है | ||
− | + | या बच्चों से खेलता है ..." | |
− | या | + | |
दूसरा बालक बोला- | दूसरा बालक बोला- | ||
− | + | "बाघ कहीं काम नहीं करता | |
− | + | ||
− | + | ||
न किसी दफ़्तर में | न किसी दफ़्तर में | ||
− | + | न कॉलेज में" | |
− | न कॉलेज में | + | |
− | + | ||
छोटू बोला- | छोटू बोला- | ||
− | + | "स्कूल में भी नही ..." | |
− | + | ||
पाँच-साला बेटू ने | पाँच-साला बेटू ने | ||
− | |||
हमें फिर से आगाह किया | हमें फिर से आगाह किया | ||
− | + | "अब रात को बाहर होकर बाथरूम न जाना" | |
− | + | </poem> |
14:28, 30 दिसम्बर 2020 के समय का अवतरण
"वो इधर से निकला
उधर चला गया"
वो आँखें फैलाकर
बतला रहा था-
"हाँ बाबा, बाघ आया उस रात,
आप रात को बाहर न निकलो!
जाने कब बाघ फिर से बाहर निकल जाए!"
"हाँ वो ही, वो ही जो
उस झरने के पास रहता है
वहाँ अपन दिन के वक़्त
गए थे न एक रोज़?
बाघ उधर ही तो रहता है
बाबा, उसके दो बच्चे हैं
बाघिन सारा दिन पहरा देती है
बाघ या तो सोता है
या बच्चों से खेलता है ..."
दूसरा बालक बोला-
"बाघ कहीं काम नहीं करता
न किसी दफ़्तर में
न कॉलेज में"
छोटू बोला-
"स्कूल में भी नही ..."
पाँच-साला बेटू ने
हमें फिर से आगाह किया
"अब रात को बाहर होकर बाथरूम न जाना"