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"उस बेवफ़ा को अपना बनाने से फ़ायदा / दरवेश भारती" के अवतरणों में अंतर
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− | + | उस बेवफ़ा को अपना बनाने से फ़ायदा | |
− | + | बेवज्ह जुल्म ख़ुद पर ही ढाने से फ़ायदा | |
− | + | चाहा बहुत न राज़े-महब्बत खुले कभी | |
− | + | खुल ही गया है जब तो छुपाने से फ़ायदा | |
− | + | आईन का मिटा दिया हो जिसने लफ़्ज़-लफ़्ज़ | |
− | + | आईना उस बशर को दिखाने से फ़ायदा | |
− | + | नीलाम जिसने कर दिया अपने ज़मीर को | |
− | + | ऐसे बशर को कुछ भी सुनाने से फ़ायदा | |
− | + | दरकार कुछ न था जिन्हें दरकार है सब आज | |
− | + | औक़ात उनकी क्या है बताने से फ़ायदा | |
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+ | हमने जिसे था टूट के चाहा हयात में | ||
+ | उसके लिए अब अश्क बहाने से फ़ायदा | ||
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+ | सच-झूठ से उरूज की मंज़िल जो पा गये | ||
+ | 'दरवेश' उनके ऐब गिनाने से फ़ायदा | ||
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12:04, 18 अप्रैल 2019 के समय का अवतरण
उस बेवफ़ा को अपना बनाने से फ़ायदा
बेवज्ह जुल्म ख़ुद पर ही ढाने से फ़ायदा
चाहा बहुत न राज़े-महब्बत खुले कभी
खुल ही गया है जब तो छुपाने से फ़ायदा
आईन का मिटा दिया हो जिसने लफ़्ज़-लफ़्ज़
आईना उस बशर को दिखाने से फ़ायदा
नीलाम जिसने कर दिया अपने ज़मीर को
ऐसे बशर को कुछ भी सुनाने से फ़ायदा
दरकार कुछ न था जिन्हें दरकार है सब आज
औक़ात उनकी क्या है बताने से फ़ायदा
हमने जिसे था टूट के चाहा हयात में
उसके लिए अब अश्क बहाने से फ़ायदा
सच-झूठ से उरूज की मंज़िल जो पा गये
'दरवेश' उनके ऐब गिनाने से फ़ायदा