(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बालकवि बैरागी }} <br /><br /> झर गये पात बिसर गई टहनी करुण क...) |
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|रचनाकार=बालकवि बैरागी | |रचनाकार=बालकवि बैरागी | ||
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+ | बिसर गई टहनी <br /> | ||
+ | करुण कथा जग से क्या कहनी ?<br /> | ||
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+ | नव कोंपल के आते-आते<br /> | ||
+ | टूट गये सब के सब नाते <br /> | ||
+ | राम करे इस नव पल्लव को<br /> | ||
+ | पड़े नहीं यह पीड़ा सहनी <br /> | ||
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+ | करुण कथा जग से क्या कहनी ?<br /> | ||
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+ | कहीं रंग है, कहीं राग है <br /> | ||
+ | कहीं चंग है, कहीं फ़ाग है<br /> | ||
+ | और धूसरित पात नाथ को <br /> | ||
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− | बिसर गई टहनी | + | बिसर गई टहनी <br /> |
− | करुण कथा जग से क्या कहनी ? | + | करुण कथा जग से क्या कहनी ?<br /> |
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+ | पवन पाश में पड़े पात ये <br /> | ||
+ | जनम-मरण में रहे साथ ये<br /> | ||
+ | "वृन्दावन" की श्लथ बाहों में <br /> | ||
+ | समा गई ऋतु की "मृगनयनी" <br /> | ||
+ | झर गये पात <br /> | ||
+ | बिसर गई टहनी <br /> | ||
+ | करुण कथा जग से क्या कहनी ?<br /> | ||
− | + | --[[सदस्य:Saurabh2k1|Saurabh2k1]] ०९:१२, २ जून २००८ (UTC) | |
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14:42, 2 जून 2008 के समय का अवतरण
झर गये पात
बिसर गई टहनी
करुण कथा जग से क्या कहनी ?
नव कोंपल के आते-आते
टूट गये सब के सब नाते
राम करे इस नव पल्लव को
पड़े नहीं यह पीड़ा सहनी
झर गये पात
बिसर गई टहनी
करुण कथा जग से क्या कहनी ?
कहीं रंग है, कहीं राग है
कहीं चंग है, कहीं फ़ाग है
और धूसरित पात नाथ को
टुक-टुक देखे शाख विरहनी
झर गये पात
बिसर गई टहनी
करुण कथा जग से क्या कहनी ?
पवन पाश में पड़े पात ये
जनम-मरण में रहे साथ ये
"वृन्दावन" की श्लथ बाहों में
समा गई ऋतु की "मृगनयनी"
झर गये पात
बिसर गई टहनी
करुण कथा जग से क्या कहनी ?
--Saurabh2k1 ०९:१२, २ जून २००८ (UTC)