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"एकांत-संगीत (कविता) / हरिवंशराय बच्चन" के अवतरणों में अंतर

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कवि हृदय अकेला
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10:20, 30 सितम्बर 2009 के समय का अवतरण

तट पर है तरुवर एकाकी,
नौका है, सागर में,
अंतरिक्ष में खग एकाकी,
तारा है, अंबर में,

भू पर वन, वारिधि पर बेड़े,
नभ में उडु खग मेला,
नर नारी से भरे जगत में
कवि का हृदय अकेला!