Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) छो (Sirjanbindu ने कहिले यो मन खहरे कहिले यो मन छहरा / दिनेश अधिकारी पृष्ठ [[कहिले यो मन खहरे कहिले यो मन छहरा...) |
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के 2 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
{{KKGlobal}} | {{KKGlobal}} | ||
{{KKRachna | {{KKRachna | ||
− | |रचनाकार= | + | |रचनाकार=सुरेन्द्र राना |
|अनुवादक= | |अनुवादक= | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatGeet}} | ||
{{KKCatNepaliRachna}} | {{KKCatNepaliRachna}} | ||
<poem> | <poem> |
09:01, 23 जून 2017 के समय का अवतरण
कहिले यो मन खहरे कहिले यो मन छहरा
चुलबुले यो मनलाई कसले दिने पहरा
चिठीपत्रमा
सबैलाई यस्तै हो सोह्र सत्रमा
उर्ली उर्ली बग्ने मनलाई मायाजालमा पारूँ जस्तो
ढुकढुक गर्ने मुटु पनि अन्त कतै सारूँ जस्तो
चिठीपत्रमा
सबैलाई यस्तै हो सोह्र सत्रमा
उँडी उँडी आकास छोई यो मन चरी घुम्ने कहिले
पन्चे बाजा डोली लिई मेरो मान्छे आउने कहिले
चिठीपत्रमा
सबैलाई यस्तै हो सोह्र सत्रमा