"देसूंटो-7 / नीरज दइया" के अवतरणों में अंतर
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− | + | साबत राखजे सबद | |
− | + | ना लिखते थूं | |
− | + | सबदां रै भाग मांय | |
− | + | सबदां रै भाग मांय | |
− | + | सांस सरीखो सुळणो | |
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− | + | सबद रैवै निरदोस | |
− | + | दोसवान हुवै अरथ | |
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− | + | रैवै सबद में अदीठ | |
− | हुवै | + | केई-केई अरथ |
− | + | अरथ हुवै | |
− | + | सबद री | |
− | + | सांस | |
− | + | का अमर आतमा | |
− | + | सिरजक खातर | |
− | + | सबद में ई हुवै देस | |
− | + | कांईं खाली हुय सकै | |
− | + | किणी रै आवण-जावण सूं | |
− | + | कदैई कोई देस | |
− | + | जिंयां खाली हुय जावै डील | |
+ | आतमा रै जावण सूं | ||
− | + | थारो खाली देस | |
− | + | ओ है | |
− | + | का बो है | |
− | + | बगत अठै रो न्यारो | |
− | + | बगत बठै रो न्यारो | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | थूं मांडै बगत | |
− | + | देख-देख | |
− | + | अेकूकी सांस-सांस | |
+ | थारै हिसाब में | ||
+ | कोनी आवै फरक | ||
+ | फाट्यां सांस रै | ||
+ | कोनी लागै सांधो | ||
+ | कोई री ठाह हुवै | ||
+ | अर ठाह नीं हुवै | ||
− | + | जद-जद थमै जूण | |
− | + | साथै थम जावै | |
+ | म्हारो देस | ||
− | + | बिसाई खावै देस | |
− | + | पाछो मोह उपजावै | |
− | + | अर पकड़ हाथ री आंगळी | |
− | + | दौड़ावै ओ देस | |
− | + | ||
− | + | जाग है- | |
− | + | ओ देस | |
− | + | अर नींद है- | |
− | + | बो देस | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | नीं हुवै पतियारो- | |
− | + | नींद रो | |
− | + | ठाह नीं कद आय पूग | |
− | + | आंख्यां अगाड़ी | |
+ | काळी नींद | ||
+ | काढती कोई | ||
+ | आपरी रागळी | ||
+ | भूंडै भेस | ||
− | + | छेकड़ जावणो ई पड़ैला | |
− | + | सुपनो रचैला | |
− | + | उदबुदो राग | |
− | + | किणी दूजै देस | |
+ | अर गैरी नींद पोढ्यां | ||
+ | भळै गुम जावैला चेतो | ||
+ | कीं ठाह नीं पडै़ला | ||
+ | इण री ठाह हुवै | ||
+ | अर ठाह नीं हुवै | ||
− | + | जे देस | |
− | + | सूय जावै | |
− | + | पग पसार | |
− | + | कोई नीं जाग सकै | |
− | + | कोई नीं भाग सकै | |
− | + | ||
− | + | म्हारो असली देस | |
− | + | थूं ईज है- | |
− | + | सांवरा ! | |
+ | उमर रै आंगणै | ||
+ | बगत परवाण | ||
− | + | म्हारै सामीं बदळ्या है- | |
− | + | थूं बीसूं बरस | |
− | + | पण थारै सामीं | |
− | + | म्है रैवूं | |
− | + | सदीव-सदीव टाबर | |
+ | साव टाबर | ||
− | म्हारै | + | म्हारै बगत बसतै |
− | + | थूं राख्या | |
− | + | सगळा सुपना म्हारा | |
− | + | ||
− | + | बगत-बस्तो लियां | |
− | + | लागै म्हनै हरेक देस | |
− | + | अेक स्कूल सांवरा | |
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− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | घर-धणी ! | |
− | + | फगत थूं जाणै | |
− | + | घर रो मारग | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | ||
− | + | अठै मिनखां रा है | |
− | + | न्यारा-न्यारा नांव | |
− | + | न्यारा-न्यारा गांव | |
− | + | गांवां मांय ईज है | |
− | + | अठै केई-केई गांव | |
− | + | ||
− | + | म्हैं नीं जाणूं | |
− | + | म्हारी आतमा रो है | |
− | + | कांई कोई नांव | |
− | + | ||
− | + | ||
− | कोई | + | |
− | + | थारै असवाड़ै-पसवाड़ै | |
− | + | अेक दुनिया म्हारी | |
− | + | आखर री आंख सूं | |
− | + | सांस-सांस सोधू | |
+ | थारो रूप | ||
− | + | सबद मांय | |
− | + | म्हैं देखूं अरथ | |
− | + | रूप-अरूप | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | थारै जायां पछै | |
− | + | कोई कोनी संभाळ्यो | |
− | + | अर संभाळण री गत में | |
− | अर | + | |
− | + | ||
− | + | ||
− | + | कोनी हो म्हैं | |
− | + | झार-झार झर्या | |
+ | म्हारी आंख्यां आंसू- | ||
+ | बण परा बै मोती | ||
− | + | अथाह कळपती काया मांय | |
− | + | जाणूं कळझळ-कळझळ | |
− | + | मांय म्हारै कळप्यो थूं | |
− | + | ||
+ | आवै थारी ओळूं | ||
+ | म्हारै तांई ऊपरथळी | ||
+ | खोल बगत रा | ||
+ | केई-केई किंवाड़िया | ||
− | + | मन री धरती माथै | |
− | + | जूनी बातां रा रंग | |
− | + | च्यारूंमेर खिंड जावै | |
+ | अर आभै मांय | ||
+ | ठाह नीं लागै | ||
+ | कठै-कणा | ||
+ | कांई-कांई मंड जावै | ||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
− | + | इण दुख मांय | |
− | + | चांकैसर नीं रैवै- | |
− | + | मन म्हारो | |
− | + | म्हैं नीं मार सकूं | |
− | + | अर किणी रै मार्यां ईज | |
− | + | मर नीं सकै | |
− | + | म्हारै मांय जीवै | |
+ | अर जीवैला- | ||
+ | अमर छिब थारी | ||
+ | कानी सैंधी म्हारी ! | ||
+ | थारी अरूप आतमा !! | ||
− | + | ओळूं मांय बस्यो | |
− | + | थरो रूप अखंड | |
− | + | ओळूं रैवै | |
− | अर | + | अरूप जीवै |
− | + | अर ओळूं न | |
− | + | अरूप नैं नीं | |
+ | संभालै- | ||
+ | रूप नैं! | ||
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14:20, 27 जून 2017 के समय का अवतरण
साबत राखजे सबद
ना लिखते थूं
सबदां रै भाग मांय
सबदां रै भाग मांय
सांस सरीखो सुळणो
सबद रैवै निरदोस
दोसवान हुवै अरथ
रैवै सबद में अदीठ
केई-केई अरथ
अरथ हुवै
सबद री
सांस
का अमर आतमा
सिरजक खातर
सबद में ई हुवै देस
कांईं खाली हुय सकै
किणी रै आवण-जावण सूं
कदैई कोई देस
जिंयां खाली हुय जावै डील
आतमा रै जावण सूं
थारो खाली देस
ओ है
का बो है
बगत अठै रो न्यारो
बगत बठै रो न्यारो
थूं मांडै बगत
देख-देख
अेकूकी सांस-सांस
थारै हिसाब में
कोनी आवै फरक
फाट्यां सांस रै
कोनी लागै सांधो
कोई री ठाह हुवै
अर ठाह नीं हुवै
जद-जद थमै जूण
साथै थम जावै
म्हारो देस
बिसाई खावै देस
पाछो मोह उपजावै
अर पकड़ हाथ री आंगळी
दौड़ावै ओ देस
जाग है-
ओ देस
अर नींद है-
बो देस
नीं हुवै पतियारो-
नींद रो
ठाह नीं कद आय पूग
आंख्यां अगाड़ी
काळी नींद
काढती कोई
आपरी रागळी
भूंडै भेस
छेकड़ जावणो ई पड़ैला
सुपनो रचैला
उदबुदो राग
किणी दूजै देस
अर गैरी नींद पोढ्यां
भळै गुम जावैला चेतो
कीं ठाह नीं पडै़ला
इण री ठाह हुवै
अर ठाह नीं हुवै
जे देस
सूय जावै
पग पसार
कोई नीं जाग सकै
कोई नीं भाग सकै
म्हारो असली देस
थूं ईज है-
सांवरा !
उमर रै आंगणै
बगत परवाण
म्हारै सामीं बदळ्या है-
थूं बीसूं बरस
पण थारै सामीं
म्है रैवूं
सदीव-सदीव टाबर
साव टाबर
म्हारै बगत बसतै
थूं राख्या
सगळा सुपना म्हारा
बगत-बस्तो लियां
लागै म्हनै हरेक देस
अेक स्कूल सांवरा
घर-धणी !
फगत थूं जाणै
घर रो मारग
अठै मिनखां रा है
न्यारा-न्यारा नांव
न्यारा-न्यारा गांव
गांवां मांय ईज है
अठै केई-केई गांव
म्हैं नीं जाणूं
म्हारी आतमा रो है
कांई कोई नांव
थारै असवाड़ै-पसवाड़ै
अेक दुनिया म्हारी
आखर री आंख सूं
सांस-सांस सोधू
थारो रूप
सबद मांय
म्हैं देखूं अरथ
रूप-अरूप
थारै जायां पछै
कोई कोनी संभाळ्यो
अर संभाळण री गत में
कोनी हो म्हैं
झार-झार झर्या
म्हारी आंख्यां आंसू-
बण परा बै मोती
अथाह कळपती काया मांय
जाणूं कळझळ-कळझळ
मांय म्हारै कळप्यो थूं
आवै थारी ओळूं
म्हारै तांई ऊपरथळी
खोल बगत रा
केई-केई किंवाड़िया
मन री धरती माथै
जूनी बातां रा रंग
च्यारूंमेर खिंड जावै
अर आभै मांय
ठाह नीं लागै
कठै-कणा
कांई-कांई मंड जावै
इण दुख मांय
चांकैसर नीं रैवै-
मन म्हारो
म्हैं नीं मार सकूं
अर किणी रै मार्यां ईज
मर नीं सकै
म्हारै मांय जीवै
अर जीवैला-
अमर छिब थारी
कानी सैंधी म्हारी !
थारी अरूप आतमा !!
ओळूं मांय बस्यो
थरो रूप अखंड
ओळूं रैवै
अरूप जीवै
अर ओळूं न
अरूप नैं नीं
संभालै-
रूप नैं!