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"अकेले में फगुआ / चंद्रभूषण" के अवतरणों में अंतर

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मोरि उचटलि नींद सेजरिया हो
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करवट-करवट राति गई ।
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ना कहुं मुरली ना कहुं पायल
 
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झन-झन बाजै अन्हरिया हो
 
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ना कहुं गोइयां ताल मिलावैं
 
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बेसुर जाय उमरिया हो
 
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करवट-करवट राति गई ।
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कहवां मोहन कहां राधिका
 
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ब्रज की कवनि डगरिया हो
 
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कहवां फूले कदम कंटीले
 
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कवनि डारि कोइलरिया हो
 
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करवट-करवट राति गई ।
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एकला मोहन एकली राधिका
 
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भौंचक बीच बजरिया हो
 
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एकली बंधी प्रीत की डोरी
 
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लेत न कोऊ खबरिया हो
 
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करवट-करवट राति गई ।
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ऊधो तोहरी रहनि बेगानी
 
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एकली सारी नगरिया हो
 
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देहिं उगै जइसे जरत चनरमा
 
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हियरा बजर अन्हरिया हो
 
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करवट-करवट राति गई ।
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रहन कहौ यहि देस न ऊधो
 
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हमरी जाति अनरिया हो
 
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राही हम कोउ अगम देस कै
 
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चलब होत भिनुसरिया हो
 
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करवट-करवट राति गई ।
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मोरि उचटलि नींद सेजरिया हो
 
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करवट-करवट राति गई ।
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12:20, 17 अक्टूबर 2012 के समय का अवतरण

मोरि उचटलि नींद सेजरिया हो
करवट-करवट राति गई ।

ना कहुं मुरली ना कहुं पायल
झन-झन बाजै अन्हरिया हो
ना कहुं गोइयां ताल मिलावैं
बेसुर जाय उमरिया हो
करवट-करवट राति गई ।

कहवां मोहन कहां राधिका
ब्रज की कवनि डगरिया हो
कहवां फूले कदम कंटीले
कवनि डारि कोइलरिया हो
करवट-करवट राति गई ।

एकला मोहन एकली राधिका
भौंचक बीच बजरिया हो
एकली बंधी प्रीत की डोरी
लेत न कोऊ खबरिया हो
करवट-करवट राति गई ।

ऊधो तोहरी रहनि बेगानी
एकली सारी नगरिया हो
देहिं उगै जइसे जरत चनरमा
हियरा बजर अन्हरिया हो
करवट-करवट राति गई ।

रहन कहौ यहि देस न ऊधो
हमरी जाति अनरिया हो
राही हम कोउ अगम देस कै
चलब होत भिनुसरिया हो
करवट-करवट राति गई ।

मोरि उचटलि नींद सेजरिया हो
करवट-करवट राति गई ।