भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"फूलफूलमा पातपातमा / दिनेश अधिकारी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) |
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) |
||
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatGeet}} | ||
{{KKCatNepaliRachna}} | {{KKCatNepaliRachna}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | |||
− | |||
− | |||
− | हिजोभन्दा आज राम्रो लाग्न थाल्यो आफ्नै | + | फूल–फूलमा पात–पातमा |
− | बात मार्न मन लाग्छ एकान्तमा | + | पोखूँजस्तो लाग्छ जोबन |
− | किन यस्तो हुन्छ | + | मनभरि तनभरि |
+ | शीतमाथि घामसरि | ||
+ | खुल्न खोज्छ मेरो चाहना | ||
+ | |||
+ | हिजोभन्दा आज राम्रो | ||
+ | लाग्न थाल्यो आफ्नै रूप | ||
+ | बात मार्न मन लाग्छ | ||
+ | एकान्तमा आफैँसित | ||
+ | किन यस्तो हुन्छ भन न ? | ||
बादलमा उड्छ यो मन | बादलमा उड्छ यो मन | ||
+ | |||
+ | परेलीको वरिपरि | ||
+ | छायाँ खेल्छ घरीघरी | ||
+ | रङ्ग छर्छ कोही मेरो | ||
+ | भावनामा सरीबरी | ||
+ | किन यस्तो हुन्छ भन न ? | ||
+ | यस्तै हुने हो कि मिलन ? | ||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
</poem> | </poem> |
11:46, 23 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
फूल–फूलमा पात–पातमा
पोखूँजस्तो लाग्छ जोबन
मनभरि तनभरि
शीतमाथि घामसरि
खुल्न खोज्छ मेरो चाहना
हिजोभन्दा आज राम्रो
लाग्न थाल्यो आफ्नै रूप
बात मार्न मन लाग्छ
एकान्तमा आफैँसित
किन यस्तो हुन्छ भन न ?
बादलमा उड्छ यो मन
परेलीको वरिपरि
छायाँ खेल्छ घरीघरी
रङ्ग छर्छ कोही मेरो
भावनामा सरीबरी
किन यस्तो हुन्छ भन न ?
यस्तै हुने हो कि मिलन ?