भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"आफैँसँग बिरानो म / दिनेश अधिकारी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) छो (Sirjanbindu ने तिमी बाटो तिमी यात्रा तिमी मेरो जिन्दगी / दिनेश अधिकारी पृष्ठ [[आफैँसँग बिरानो म / दिनेश...) |
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
|संग्रह= | |संग्रह= | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatGeet}} | ||
{{KKCatNepaliRachna}} | {{KKCatNepaliRachna}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | + | आफैँसँग बिरानो म कहाँ रम्न जाऊँ ? | |
− | + | जहिले पनि एक्लै हुन्छ मैले टेक्ने ठाउँ | |
− | + | मौनता नै हार मेरो मौनता नै जित | |
− | + | भीडमा म हिँडिरे’छु एक्लै आफूसित | |
− | + | व्यर्थै किन सोध्यौ तिमीले कुन हो मेरो गाउँ ? | |
− | + | जहिले पनि एक्लै हुन्छ मैले टेक्ने ठाउँ | |
+ | |||
+ | आफ्नै आँखा घाम मेरो, आफ्नै आँखा रात | ||
+ | मेरो हाँसो मेरै लागि नबिर्सिने घात | ||
+ | बुझ्दिनँ म आफैँ पनि कसलाई सोध्न जाऊँ ? | ||
+ | जहिले पनि एक्लै हुन्छ मैले टेक्ने ठाउँ | ||
− | |||
− | |||
− | |||
− | |||
</poem> | </poem> |
10:23, 23 जुलाई 2017 के समय का अवतरण
आफैँसँग बिरानो म कहाँ रम्न जाऊँ ?
जहिले पनि एक्लै हुन्छ मैले टेक्ने ठाउँ
मौनता नै हार मेरो मौनता नै जित
भीडमा म हिँडिरे’छु एक्लै आफूसित
व्यर्थै किन सोध्यौ तिमीले कुन हो मेरो गाउँ ?
जहिले पनि एक्लै हुन्छ मैले टेक्ने ठाउँ
आफ्नै आँखा घाम मेरो, आफ्नै आँखा रात
मेरो हाँसो मेरै लागि नबिर्सिने घात
बुझ्दिनँ म आफैँ पनि कसलाई सोध्न जाऊँ ?
जहिले पनि एक्लै हुन्छ मैले टेक्ने ठाउँ