Last modified on 10 जून 2010, at 01:07

"राजधानी में बैल 1 / उदय प्रकाश" के अवतरणों में अंतर

(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= उदय प्रकाश }} बादलों को सींग पर उठाए खड़ा है आकाश की पु...)
 
 
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 1: पंक्ति 1:
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
{{KKRachna
|रचनाकार= उदय प्रकाश
+
|रचनाकार=उदयप्रकाश
 +
|संग्रह= एक भाषा हुआ करती है / उदय प्रकाश
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
बादलों को सींग पर उठाए
 
बादलों को सींग पर उठाए
 
 
खड़ा है आकाश की पुलक के नीचे
 
खड़ा है आकाश की पुलक के नीचे
  
+
एक बूँद के अचानक गिरने से
 
+
एक बूंद के अचानक गिरने से
+
 
+
 
देर तक सिहरती रहती है उसकी त्वचा
 
देर तक सिहरती रहती है उसकी त्वचा
 
 
  
 
देखता हुआ उसे
 
देखता हुआ उसे
 
+
भीगता हूँ मैं
भीगता हूं मैं
+
 
+
+
  
 
देर तक ।
 
देर तक ।
 +
</poem>

01:07, 10 जून 2010 के समय का अवतरण

बादलों को सींग पर उठाए
खड़ा है आकाश की पुलक के नीचे

एक बूँद के अचानक गिरने से
देर तक सिहरती रहती है उसकी त्वचा

देखता हुआ उसे
भीगता हूँ मैं

देर तक ।