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'''रचनाकाल : 07.2.1988'''
 
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18:02, 14 सितम्बर 2017 के समय का अवतरण

केकरा से करीं अरजिया हो
                    सगरे बंटमार।

राजा के देखनीं, सिपहिया के देखनीं
नेता के देखनीं, उपहिया के देखनीं
पइसा प सभकर मरजिया हो
                    सगरे बंटमार

देखनीं कलट्टर के, जजो के देखनीं
राजो के देखनी आ लाजो के देखनीं
कमवा बा सभकर फरजिया हो
                    सगरे बंटमार

देस भई बोफ़ोर्स के तोप नियसउदा सउदा
लोकतन्त्र नाद भइल, संविधान हउदा
कइसे भराई करजिया हो
                    सगरे बंटमार

छप्पन गो छूरी से गरदन रेताइल
साँपन के दूध आउर लावा दिआइल
गाईं जा नयका तरजिया हो
                    सगरे बंटमार

केकरा से करीं अरजिया हो
                    सगरे बंटमार।

रचनाकाल : 07.2.1988