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मेरी दीवानगी की चर्चा है ठीक मगर | मेरी दीवानगी की चर्चा है ठीक मगर | ||
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सहमते और ठिठुरते गुज़र गईं पीढ़ियाँ | सहमते और ठिठुरते गुज़र गईं पीढ़ियाँ |
15:28, 21 मई 2018 के समय का अवतरण
मेरी दीवानगी की चर्चा है ठीक मगर
थोड़े मदहोश तो हो जाओ, कोई बात बने
सहमते और ठिठुरते गुज़र गईं पीढ़ियाँ
ख़ुद बादल हो फैल जाओ, कोई बात बने
तुम्हारे साथ ही जुड़ी है ज़मीं की ख़ुशबू
फूल की भाँति बिखर जाओ, कोई बात बने
छूना तो ठीक है, सीने से लगा लेंगे वे
नगमा बनके भीतर जाओ, कोई बात बने
ढेर-सा डर है, झिझक भी है झुँझलाहट पर
सितम के सामने हो जाओ, कोई बात बने
मूल गुजराती से अनुवाद : स्वयं साहिल परमार