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"जन्म क्या है / अंकित काव्यांश" के अवतरणों में अंतर
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जन्म क्या है! बस | जन्म क्या है! बस | ||
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और जीवन आयु की तपती शिलाओं का वरण। | और जीवन आयु की तपती शिलाओं का वरण। | ||
कुछ उजाले | कुछ उजाले | ||
− | + | ज़िन्दगी में इंद्रधनुषी रंग लाते, | |
कुछ अंधेरे सिसकती रोती निगाहों में समाते, | कुछ अंधेरे सिसकती रोती निगाहों में समाते, | ||
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यह समय की जय-पराजय है जिसे कुछ लोग कहते | यह समय की जय-पराजय है जिसे कुछ लोग कहते | ||
भाग्य या दुर्भाग्य का प्रारम्भ या अंतिम चरण। | भाग्य या दुर्भाग्य का प्रारम्भ या अंतिम चरण। | ||
− | जन्म क्या है! बस नदी का | + | जन्म क्या है! बस नदी का बर्फ़ में रूपांतरण। |
फिर वही | फिर वही | ||
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बताता यह कि जंगल तैरता है | बताता यह कि जंगल तैरता है | ||
कामना के द्वीप से जीवन पिघलकर निकलता है। | कामना के द्वीप से जीवन पिघलकर निकलता है। | ||
− | कुल मिलाकर | + | कुल मिलाकर बर्फ़ का फिर से नदी होना मरण। |
− | जन्म क्या है! बस नदी का | + | जन्म क्या है! बस नदी का बर्फ़ रूपांतरण। |
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23:27, 2 अगस्त 2020 के समय का अवतरण
जन्म क्या है! बस
नदी का बर्फ़ में रूपांतरण,
और जीवन आयु की तपती शिलाओं का वरण।
कुछ उजाले
ज़िन्दगी में इंद्रधनुषी रंग लाते,
कुछ अंधेरे सिसकती रोती निगाहों में समाते,
संतुलन के लिए
ही मन की तुला पर बोझ सहते,
यह समय की जय-पराजय है जिसे कुछ लोग कहते
भाग्य या दुर्भाग्य का प्रारम्भ या अंतिम चरण।
जन्म क्या है! बस नदी का बर्फ़ में रूपांतरण।
फिर वही
जंगल मिला है किन्तु पथ फिर ढूँढना है।
इस जनम भी पार जाने की तड़प में भटकना है।
अनुभवी पँछी
बताता यह कि जंगल तैरता है
कामना के द्वीप से जीवन पिघलकर निकलता है।
कुल मिलाकर बर्फ़ का फिर से नदी होना मरण।
जन्म क्या है! बस नदी का बर्फ़ रूपांतरण।