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"आरती / 1 / भिखारी ठाकुर" के अवतरणों में अंतर
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17:38, 16 मई 2018 के समय का अवतरण
प्रसंग:
सिंह-वाहिनी दुर्गा की आरती में कामना की गई है कि वे भव-निधि पार करा दें।
तेबड़ा
जय जय मात सुनहु पुकार॥टेक॥
उधकेसी जग जननी के सजल अजब शृंगार।
भुज बिराजत खर्ग खप्पर रहत सिंह सवार॥
करत भक्षण मांस सो नित हरत धरनी भार।
लाल लहँगा जड़ित साड़ी तेल-सेनूर टहकार॥
कहे ‘भिखारी’ मोर नइया करहु भवनिधि पार।जय जय मात सुनहु पुकार॥