भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"बिजलियाँ गिरने नहीं देंगे! / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (122.168.206.19 (Talk) के संपादनोंको हटाया; Pratishtha के आखिरी अवतरण को पूर्ववत किय)
 
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=नई चेतना / महेन्द्र भटनागर
 
|संग्रह=नई चेतना / महेन्द्र भटनागर
 
}}
 
}}
[1] बिजलियाँ गिरने नहीं देंगे! <br>
+
बिजलियाँ गिरने नहीं देंगे! <br>
 
+
 
+
 
कुछ लोग <br>
 
कुछ लोग <br>
 
चाहे ज़ोर से कितना <br>
 
चाहे ज़ोर से कितना <br>
पंक्ति 16: पंक्ति 14:
 
शांति की आवाज़ को <br>
 
शांति की आवाज़ को <br>
 
दबने नहीं देंगे ! <br>
 
दबने नहीं देंगे ! <br>
 
 
 
क्योंकि हम <br>
 
क्योंकि हम <br>
 
इतिहास के आरम्भ से <br>
 
इतिहास के आरम्भ से <br>
पंक्ति 25: पंक्ति 21:
 
गौतम और गांधी को <br>
 
गौतम और गांधी को <br>
 
हृदय के पास रखते हैं ! <br>
 
हृदय के पास रखते हैं ! <br>
 
 
 
किसी को भी सताना <br>
 
किसी को भी सताना <br>
 
पाप सचमुच में समझते हैं,<br>  
 
पाप सचमुच में समझते हैं,<br>  
 
नहीं हम व्यर्थ में पथ में <br>
 
नहीं हम व्यर्थ में पथ में <br>
 
किसी से जा उलझते हैं ! <br>
 
किसी से जा उलझते हैं ! <br>
 
 
 
हमारे पास केवल <br>
 
हमारे पास केवल <br>
 
विश्व-मैत्री का <br>
 
विश्व-मैत्री का <br>
पंक्ति 39: पंक्ति 31:
 
पीड़ित ध्वस्त दुनिया के लिए <br>
 
पीड़ित ध्वस्त दुनिया के लिए <br>
 
अवशेष है ! <br>
 
अवशेष है ! <br>
 
 
 
हमारे हाथ - <br>
 
हमारे हाथ - <br>
 
गिरतों को उठाएंगे, <br>
 
गिरतों को उठाएंगे, <br>
पंक्ति 47: पंक्ति 37:
 
भयभीत, घायल औरतों को <br>
 
भयभीत, घायल औरतों को <br>
 
दानवों के क्रूर पंजों से बचाएंगे ! <br>
 
दानवों के क्रूर पंजों से बचाएंगे ! <br>
 
 
 
हमें नादान बच्चों की हँसी <br>
 
हमें नादान बच्चों की हँसी <br>
 
लगती बड़ी प्यारी ; <br>
 
लगती बड़ी प्यारी ; <br>
पंक्ति 56: पंक्ति 44:
 
गलों से गीत की कड़ियाँ <br>
 
गलों से गीत की कड़ियाँ <br>
 
मनोहारी ! <br>
 
मनोहारी ! <br>
 
 
 
खुशी के गीत गाते इन गलों में <br>
 
खुशी के गीत गाते इन गलों में <br>
 
हम <br>
 
हम <br>
पंक्ति 66: पंक्ति 52:
 
नये इंसान के मासूम सपनों पर <br>
 
नये इंसान के मासूम सपनों पर <br>
 
कभी भी बिजलियाँ गिरने नहीं देंगे ! <br>  
 
कभी भी बिजलियाँ गिरने नहीं देंगे ! <br>  
 
 
1950
 
1950
 
    
 

19:51, 16 जुलाई 2008 के समय का अवतरण

बिजलियाँ गिरने नहीं देंगे!
कुछ लोग
चाहे ज़ोर से कितना
बजाएँ युद्ध का डंका
पर, हम कभी भी
शांति का झंडा
ज़रा झुकने नहीं देंगे !
हम कभी भी
शांति की आवाज़ को
दबने नहीं देंगे !
क्योंकि हम
इतिहास के आरम्भ से
इंसानियत में,
शांति में
विश्वास रखते हैं,
गौतम और गांधी को
हृदय के पास रखते हैं !
किसी को भी सताना
पाप सचमुच में समझते हैं,
नहीं हम व्यर्थ में पथ में
किसी से जा उलझते हैं !
हमारे पास केवल
विश्व-मैत्री का
परस्पर प्यार का संदेश है,
हमारा स्नेह -
पीड़ित ध्वस्त दुनिया के लिए
अवशेष है !
हमारे हाथ -
गिरतों को उठाएंगे,
हज़ारों
मूक, बंदी, त्रस्त, नत,
भयभीत, घायल औरतों को
दानवों के क्रूर पंजों से बचाएंगे !
हमें नादान बच्चों की हँसी
लगती बड़ी प्यारी ;
हमें लगती
किसानों के
गड़रियों के
गलों से गीत की कड़ियाँ
मनोहारी !
खुशी के गीत गाते इन गलों में
हम
कराहों और आहों को
कभी जाने नहीं देंगे !
हँसी पर ख़ून के छींटे
कभी पड़ने नहीं देंगे !
नये इंसान के मासूम सपनों पर
कभी भी बिजलियाँ गिरने नहीं देंगे !
1950