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"विश्वास / नई चेतना / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर
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तुम्हारी ज़िन्दगी की आग बन अंगार चमकेगी, | तुम्हारी ज़िन्दगी की आग बन अंगार चमकेगी, | ||
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अंधेरी सब दिशाएँ रोशनी में डूब दमकेंगी, | अंधेरी सब दिशाएँ रोशनी में डूब दमकेंगी, | ||
− | + | तुम्हारे दुश्मनों का गर्व चकनाचूर होएगा! | |
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सतत गाते रहो वह गीत जिसमें हो भरी आशा, | सतत गाते रहो वह गीत जिसमें हो भरी आशा, | ||
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बताए लक्ष्य की दृढ़ता तुम्हारी आँख की भाषा, | बताए लक्ष्य की दृढ़ता तुम्हारी आँख की भाषा, | ||
− | + | विरोधी हार कर फिर तो, तुम्हारे पैर धोएगा! | |
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मुसीबत की शिलाएँ सब चटककर टूट जाएँगी, | मुसीबत की शिलाएँ सब चटककर टूट जाएँगी, | ||
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गरजती आँधियाँ दुख की विनत हो धूल खाएँगी, | गरजती आँधियाँ दुख की विनत हो धूल खाएँगी, | ||
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14:10, 2 जनवरी 2010 के समय का अवतरण
बढ़ो विश्वास ले, अवरोध पथ का दूर होएगा!
तुम्हारी ज़िन्दगी की आग बन अंगार चमकेगी,
अंधेरी सब दिशाएँ रोशनी में डूब दमकेंगी,
तुम्हारे दुश्मनों का गर्व चकनाचूर होएगा!
सतत गाते रहो वह गीत जिसमें हो भरी आशा,
बताए लक्ष्य की दृढ़ता तुम्हारी आँख की भाषा,
विरोधी हार कर फिर तो, तुम्हारे पैर धोएगा!
मुसीबत की शिलाएँ सब चटककर टूट जाएँगी,
गरजती आँधियाँ दुख की विनत हो धूल खाएँगी,
तुम्हारे प्रेरणा-जल से मनुज सुख-बीज बोएगा!
रचनाकाल: 1951