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प्रश्नोत्तर / अजित कुमार

21 bytes added, 06:12, 1 नवम्बर 2009
|रचनाकार=अजित कुमार
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सलाह तो यह थी कि
 
दिन भर जो प्रश्न तुम्हें उलझाए रखें,
 
उन्हें डाल दो मन के अतल गह्वर में,
 
अगली सुबह सरल उत्तर मिल जाएंगे।
 
पर एक बार जब इसे मैंने आज़माना चाहा,
 
अक्खी रात इधर से उधर,
 
फिर उधर से इधर करवट काटते ही बीती...
 
फिर पूरा दिन हम घोड़े बेचकर सोए-
 
क्या पता–
 
जीवन की समस्याओं का उत्तर यही हो?
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