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"उत्प्ल / राहुल कुमार 'देवव्रत'" के अवतरणों में अंतर

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यूं फिरे ,जैसे ये भी याद नहीं  
 
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कि कौन सी चीज गुम गई है ?
 
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यादें ...
 
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खो सी गई है  
 
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पता ही नहीं चलता  
 
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मीठे पानी की धारा  
 
मीठे पानी की धारा  
 
क्यों पतली हो चली है ?
 
क्यों पतली हो चली है ?
 
  
 
आजकल हल्की पर गई हैं  
 
आजकल हल्की पर गई हैं  
 
मेरी नजरों में आप  
 
मेरी नजरों में आप  
 
कहीं ऐसा तो नहीं सोचने लगी हैं  
 
कहीं ऐसा तो नहीं सोचने लगी हैं  
 
  
 
यह भी एक वजह हो सकती है शायद  
 
यह भी एक वजह हो सकती है शायद  

18:54, 13 जून 2018 के समय का अवतरण

कभी कहीं , कभी कहीं
यूं फिरे ,जैसे ये भी याद नहीं
कि कौन सी चीज गुम गई है ?

यादें ...

जो हर वक्त घुमाती रहती थी मन को

खो सी गई है

पता ही नहीं चलता
मीठे पानी की धारा
क्यों पतली हो चली है ?

आजकल हल्की पर गई हैं
मेरी नजरों में आप
कहीं ऐसा तो नहीं सोचने लगी हैं

यह भी एक वजह हो सकती है शायद
या कि मैं ही खण्डित हो गया हूं
सरकार की नजरों से
इन बेकार की बातों से भी घबरा जाता हूं मैं

  .......आज कल