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"निष्कर्ष / आहत युग / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर
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− | मुफलिसी में कर गया किनारा, | + | मुफलिसी में कर गया किनारा, |
− | ज़िन्दगी में अकेला रहा | + | ज़िन्दगी में अकेला रहा |
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14:05, 29 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
उसी ने छला
अंध जिस पर भरोसा किया,
उसी ने सताया
किया सहज निःस्वार्थ जिसका भला!
उसी ने डसा
दूध जिसको पिलाया,
अनजान बन कर रहा दूर
क्या खूब रिश्ता निभाया!
अपरिचित गया बन
वही आज
जिसको गले से लगाया कभी,
अजनबी बन गया
प्यार,
भर-भर जिसे गोद-झूले झुलाया कभी!
हमसफ़र
मुफलिसी में कर गया किनारा,
ज़िन्दगी में अकेला रहा
और हर बार हारा!