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"दम घुटता है मगर अभी तक ज़िंदा हूँ / डी. एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | भीड़ खड़ी है साथ मगर मैं तन्हा हूँ | ||
+ | आदत है लोगों की हाल पूछने की | ||
+ | कहना पड़ता है बिल्कुल मैं चंगा हूँ | ||
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+ | खुद अपनी खुशियों को आग लगा देता | ||
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+ | लोग समझते यही कि मैं बेढंगा हूँ | ||
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+ | कैसे मानूँ खुद को क़ाबिल और जहीन | ||
+ | आँखों वाला होकर भी गर अंधा हूँ | ||
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+ | ख़ामोशी से रहा देखता ख़ूँ होते | ||
+ | कितना मैं कायर हूँ कितना ठंडा हूँ | ||
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+ | क्यों अपनी ताक़त को यारो भूल गया | ||
+ | अगर खड़ा हो जाऊँ तो मैं डंडा हूँ | ||
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20:36, 30 दिसम्बर 2018 के समय का अवतरण
दम घुटता है मगर अभी तक ज़िंदा हूँ
भीड़ खड़ी है साथ मगर मैं तन्हा हूँ
आदत है लोगों की हाल पूछने की
कहना पड़ता है बिल्कुल मैं चंगा हूँ
खुद अपनी खुशियों को आग लगा देता
अपनी तरह का एक अकेला बंदा हूँ
अगर ज़माने से हटकर कुछ सोचूँ तो
लोग समझते यही कि मैं बेढंगा हूँ
कैसे मानूँ खुद को क़ाबिल और जहीन
आँखों वाला होकर भी गर अंधा हूँ
ख़ामोशी से रहा देखता ख़ूँ होते
कितना मैं कायर हूँ कितना ठंडा हूँ
क्यों अपनी ताक़त को यारो भूल गया
अगर खड़ा हो जाऊँ तो मैं डंडा हूँ