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"आज सूरज ने बताया / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | दाल, चावल, नमक, पानी और सब्ज़ी | ||
+ | प्यार की चंचल थिरकती आग पर यूँ | ||
+ | बन गई तीखी मसालेदार खिचड़ी | ||
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+ | न इसका स्वाद भाया | ||
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+ | शेष है पर जीतना अच्छे समय का | ||
+ | पर्व खिचड़ी का करे उद्घोषणा यह | ||
+ | आ गया है पास बिल्कुल दिन विजय का | ||
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+ | फिर नया उत्साह छाया | ||
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+ | सूर्य पर आरोप था दक्षिण दिशा की | ||
+ | बेवजह ही तरफ़दारी कर रहा है | ||
+ | भ्रम न फैले विश्व में झूठी ख़बर से | ||
+ | इसलिए वह उत्तरायण हो रहा है | ||
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+ | धूप ने फिर से | ||
+ | पुराना तेज पाया | ||
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22:55, 28 अप्रैल 2021 के समय का अवतरण
आज सूरज ने बताया
सर्दियों का अंत
अब नजदीक आया
भेद सारे भूलकर मिलजुल गये हैं
दाल, चावल, नमक, पानी और सब्ज़ी
प्यार की चंचल थिरकती आग पर यूँ
बन गई तीखी मसालेदार खिचड़ी
कौन है जिसको
न इसका स्वाद भाया
पड़ गईं कमज़ोर दुख की स्याह रातें
शेष है पर जीतना अच्छे समय का
पर्व खिचड़ी का करे उद्घोषणा यह
आ गया है पास बिल्कुल दिन विजय का
पल छिनों में
फिर नया उत्साह छाया
सूर्य पर आरोप था दक्षिण दिशा की
बेवजह ही तरफ़दारी कर रहा है
भ्रम न फैले विश्व में झूठी ख़बर से
इसलिए वह उत्तरायण हो रहा है
धूप ने फिर से
पुराना तेज पाया