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"बारिश-2 / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर
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+ | <poem>भादो की ढलती इस साँझ | ||
लगातार हो रही है बारिश | लगातार हो रही है बारिश | ||
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हल्की | हल्की | ||
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दीखती बमुश्किल | दीखती बमुश्किल | ||
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उसकी आवाज़ सुनने को | उसकी आवाज़ सुनने को | ||
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धीमा करता हूं पंखा | धीमा करता हूं पंखा | ||
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पत्तों से, छतों से आ रही हैं | पत्तों से, छतों से आ रही हैं | ||
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टपकती बड़ी बूंदों की | टपकती बड़ी बूंदों की | ||
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टप-चट-चुट की आवाज़ें | टप-चट-चुट की आवाज़ें | ||
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छुपे पक्षी निकल रहे हैं | छुपे पक्षी निकल रहे हैं | ||
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अपने भारी-भीगते पंखों से | अपने भारी-भीगते पंखों से | ||
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कौए भरते हाँफती उड़ान | कौए भरते हाँफती उड़ान | ||
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उधर लौट रहा मैनाओं का झुंड | उधर लौट रहा मैनाओं का झुंड | ||
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अपेक्षाकृत तेज़ी से | अपेक्षाकृत तेज़ी से | ||
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पंखों पर जम आती बूदों को | पंखों पर जम आती बूदों को | ||
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झटकारता। | झटकारता। | ||
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19:00, 31 मार्च 2011 के समय का अवतरण
भादो की ढलती इस साँझ
लगातार हो रही है बारिश
हल्की
दीखती बमुश्किल
उसकी आवाज़ सुनने को
धीमा करता हूं पंखा
पत्तों से, छतों से आ रही हैं
टपकती बड़ी बूंदों की
टप-चट-चुट की आवाज़ें
छुपे पक्षी निकल रहे हैं
अपने भारी-भीगते पंखों से
कौए भरते हाँफती उड़ान
उधर लौट रहा मैनाओं का झुंड
अपेक्षाकृत तेज़ी से
पंखों पर जम आती बूदों को
झटकारता।