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"अकेले हैं (माहिया) / रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’" के अवतरणों में अंतर
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+ | जग दुश्मन है माना | ||
+ | रिश्ता यह दिल का | ||
+ | जब तक साँस निभाना। | ||
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+ | तुझको उजियार मिले | ||
+ | बदले में मुझको | ||
+ | चाहे अँधियार मिले। | ||
+ | 77 | ||
+ | तुम सागर हो मेरे | ||
+ | बूँद तुम्हारी हूँ | ||
+ | तुझसे ही लूँ फेरे। | ||
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14:08, 9 मार्च 2021 के समय का अवतरण
70
हम बहुत अकेले हैं
क़िस्मत के हाथों
उजड़े ये मेले हैं।
71
साथ रहें बेगाने
शातिर दुनिया को
कैसे हम पहचाने ।
72
हम किसकी बात कहें
कब था चैन मिला
हरदम आघात मिले।
73
तुम चन्दा अम्बर के
मैं केवल तारा
चाहूँगा जी भरके।
74
तुम केवल मेरे हो
साँसों में खुशबू
बनकरके घेरे हो।
75
जग दुश्मन है माना
रिश्ता यह दिल का
जब तक साँस निभाना।
76
तुझको उजियार मिले
बदले में मुझको
चाहे अँधियार मिले।
77
तुम सागर हो मेरे
बूँद तुम्हारी हूँ
तुझसे ही लूँ फेरे।