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| + | छूकरके अम्बर | ||
| + | सिन्धु में डूबा। | ||
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| + | एकाकी मन | ||
| + | भीड़ भरा नगर | ||
| + | जाएँ किधर ! | ||
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| + | पाएँगे कैसे | ||
| + | हम तेरी खबर | ||
| + | तम है घना। | ||
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| + | आ भी तो जाओ | ||
| + | सूने इस पथ में | ||
| + | दीप जलाओ। | ||
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| + | गटक लिया | ||
| + | खुशबू से सिंचित। | ||
| + | पूरा वसन्त। | ||
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| + | '''आँखों से पिया''' | ||
| + | रुपहला वसन्त | ||
| + | मन न भरा। | ||
| + | 37 | ||
| + | ले लूँ बलाएँ | ||
| + | सारी की सारी जो भी | ||
| + | द्वारे पे आएँ। | ||
| + | 38 | ||
| + | ठिठका चाँद | ||
| + | झाँका जो खिड़की से | ||
| + | दूजा भी चाँद। | ||
| + | 39 | ||
| + | होगी जो भोर | ||
| + | और भी निखरेगा | ||
| + | मेरा ये चाँद। | ||
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| + | नभ का चन्दा | ||
| + | भोर में लगे फीका, | ||
| + | मेरा ये नीका। | ||
| + | 41 | ||
| + | सात पर्दों में | ||
| + | तुम को यों छिपालूँ | ||
| + | देखूँ मैं तुम्हें। | ||
| + | 42 | ||
| + | भाल तुम्हारा | ||
| + | मन में झिलमिल | ||
| + | ईद का चाँद । | ||
| + | 43 | ||
| + | नेह का जल | ||
| + | जीवन का सम्बल | ||
| + | साथ तुम्हारा। | ||
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05:15, 13 जून 2019 के समय का अवतरण
29
प्राण-पाहुने
रहें सदा ही साथ
हाथों में हाथ।
30
जन्म-जन्म से
जब गूँथा है प्यार
महका द्वार।
31
साँझ का गान
छूकरके अम्बर
सिन्धु में डूबा।
32
एकाकी मन
भीड़ भरा नगर
जाएँ किधर !
33
पाएँगे कैसे
हम तेरी खबर
तम है घना।
34
आ भी तो जाओ
सूने इस पथ में
दीप जलाओ।
35
गटक लिया
खुशबू से सिंचित।
पूरा वसन्त।
36
आँखों से पिया
रुपहला वसन्त
मन न भरा।
37
ले लूँ बलाएँ
सारी की सारी जो भी
द्वारे पे आएँ।
38
ठिठका चाँद
झाँका जो खिड़की से
दूजा भी चाँद।
39
होगी जो भोर
और भी निखरेगा
मेरा ये चाँद।
40
नभ का चन्दा
भोर में लगे फीका,
मेरा ये नीका।
41
सात पर्दों में
तुम को यों छिपालूँ
देखूँ मैं तुम्हें।
42
भाल तुम्हारा
मन में झिलमिल
ईद का चाँद ।
43
नेह का जल
जीवन का सम्बल
साथ तुम्हारा।