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भोजन, सुबह या धुम्रपान धूम्रपान से मिचली और वमन हो।
बार-बार होता पेशाब और उसके साथ जलन हो॥
बार -बार जाता पाखाना पाख़ाना पर वह चैन नहीं पाता। कमर पीठ की के दर्द के कारण करवट बदल नहीं पाता॥
वह ज्वर की तीनों स्थिति में चादर ओढे ओढ़े रहता है। छींक और पतली सर्दी संग सँग नाक बंद बन्द भी कहता है॥
भोजन या ठँढे ठण्डे पानी से दाँत दर्द बढ बढ़ जाता है। सड़ी गंध तीता गन्ध तीते पानी से मुँह हरदम भर आता है॥
अधिक दिनों तक एम-सी हो जल्दी-जल्दी ज़्यादा ज्यादा। ज़्यादा।
दाग पकड़ता है साड़ी में बदबूदार प्रदर सादा॥
रक्त पित्त की हो प्रधानता, चिड़चिड़ा आलसी और क्रोधी।
खाँसी से हो पेरु पेड़ु दर्द तो नक्स माँगता है रोगी॥
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