भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ख़त लिखना / दिनकर कुमार" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=दिनकर कुमार |अनुवादक=कौन कहता है...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 7: | पंक्ति 7: | ||
{{KKCatKavita}} | {{KKCatKavita}} | ||
<poem> | <poem> | ||
− | कभी | + | कभी रोज़ी-रोटी के गणित से |
फ़ुरसत मिले | फ़ुरसत मिले | ||
तो मौसम और फूलों के बारे में | तो मौसम और फूलों के बारे में |
03:10, 3 अगस्त 2019 के समय का अवतरण
कभी रोज़ी-रोटी के गणित से
फ़ुरसत मिले
तो मौसम और फूलों के बारे में
लिखना
कभी महँगाई और राशन से ध्यान बँटे
तो तितलियों और पर्वतों
के बारे में लिखना
कभी बीमारी और अस्पतालों से
वक़्त मिले तो अपने शहर की रँगीनी
और नदी के यौवन के बारे में लिखना
मेरे दोस्त
हादसों से गुज़रते हुए
मुझे ख़त लिखना