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"जवानी / महेन्द्र भटनागर" के अवतरणों में अंतर
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− | समय तो गुज़रता चला जायगा | + | समय तो गुज़रता चला जायगा<br> |
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20:11, 18 अगस्त 2008 के समय का अवतरण
समय तो गुज़रता चला जायगा
पर, जवानी कभी भी मिटेगी नहीं !
करोड़ों युगों से
जवानी का दरिया
हज़ारों रुकावट मिटाकर
निरंतर बहा है,
व बहता रहेगा !
करोड़ों युगों से
जवानी का सरगम
नयी ज़िन्दगी का
नया गीत गाता रहा है,
व गाता रहेगा !
कि झंकार जिसकी
कभी भी दबेगी नहीं,
और
नभ में, दिशा में,
नगर में, डगर में,
बड़े शोर से गूँज
सबको जगाती रहेगी !
व सपनों की दुनिया
अँधेरे की दुनिया
सदा लड़खड़ाती रहेगी !
अँधेरा गिरेगा, अँधेरा मिटेगा,
कभी पर,
जवानी की ज्योति धुँधली पड़ेगी नहीं !
समय तो गुज़रता चला जायगा
पर, जवानी कभी भी मिटेगी नहीं !