भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"पनसोखा है इन्द्रधनुष / मदन कश्यप" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 9: | पंक्ति 9: | ||
|विषय=मदन कश्यप जितने प्रेम के कवि हैं, उतने ही प्रकृति, जीवन राग व संघर्ष के कवि भी। समाज व परिवार, सम्वेदना व करुणा उनमें भरपूर है। | |विषय=मदन कश्यप जितने प्रेम के कवि हैं, उतने ही प्रकृति, जीवन राग व संघर्ष के कवि भी। समाज व परिवार, सम्वेदना व करुणा उनमें भरपूर है। | ||
|शैली=मुक्तछन्द | |शैली=मुक्तछन्द | ||
− | |पृष्ठ= | + | |पृष्ठ=108 |
|ISBN= | |ISBN= | ||
|विविध= | |विविध= |
14:01, 21 नवम्बर 2019 के समय का अवतरण
पनसोखा है इन्द्रधनुष
रचनाकार | मदन कश्यप |
---|---|
प्रकाशक | सेतु प्रकाशन |
वर्ष | 2019 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | मदन कश्यप जितने प्रेम के कवि हैं, उतने ही प्रकृति, जीवन राग व संघर्ष के कवि भी। समाज व परिवार, सम्वेदना व करुणा उनमें भरपूर है। |
विधा | मुक्तछन्द |
पृष्ठ | 108 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।