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"माँ सरस्‍वती / कुमार मुकुल" के अवतरणों में अंतर

 
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|रचनाकार=कुमार मुकुल
 
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|संग्रह=परिदृश्य के भीतर / कुमार मुकुल
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|संग्रह=समुद्र के आँसू / कुमार मुकुल
 
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19:19, 28 अगस्त 2008 के समय का अवतरण

मां सरस्‍वती! वरदान दो
कि हम सदा फूलें-फलें
अज्ञान सारा दूर हो
और हम आगे बढ़ें
अंधकार के आकाश को
हम पारकर उपर उठें
अहंकार के इस पाश को
हम काट कर के मुक्‍त हों
क्रोध की अग्नि हमारी
शेष होकर राख हो
प्रेम की धारा मधुर
फिर से हृदय में बह चले
मां सरस्‍वती! वरदान दो
कि हम सदा फूलें-फलें!