| अनिल जनविजय  (चर्चा | योगदान)  (New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नागार्जुन |संग्रह=खिचड़ी विप्लव देखा हमने / नागार्जुन...) | |||
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| नए सिरे से | नए सिरे से | ||
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| घिरे-घिरे से | घिरे-घिरे से | ||
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| हमने झेले | हमने झेले | ||
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| तानाशाही के वे हमले | तानाशाही के वे हमले | ||
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| आगे भी झेलें हम शायद | आगे भी झेलें हम शायद | ||
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| तानाशाही के वे हमले... नए सिरे से | तानाशाही के वे हमले... नए सिरे से | ||
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| ::::::घिरे-घिरे से | ::::::घिरे-घिरे से | ||
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| "बदल-बदल कर चखा करे तू दुख-दर्दों का स्वाद" | "बदल-बदल कर चखा करे तू दुख-दर्दों का स्वाद" | ||
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| "शुद्ध स्वदेशी तानाशाही आए तुझको याद" | "शुद्ध स्वदेशी तानाशाही आए तुझको याद" | ||
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| "फिर-फिर तुझको हुलसित रक्खे अपना ही उन्माद" | "फिर-फिर तुझको हुलसित रक्खे अपना ही उन्माद" | ||
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| "तुझे गर्व है, बना रहे तू अपना ही अपवाद" | "तुझे गर्व है, बना रहे तू अपना ही अपवाद" | ||
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| (रचनाकाल : 1977) | (रचनाकाल : 1977) | ||
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19:25, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण
नए सिरे से
घिरे-घिरे से
हमने झेले
तानाशाही के वे हमले
आगे भी झेलें हम शायद
तानाशाही के वे हमले... नए सिरे से
घिरे-घिरे से
"बदल-बदल कर चखा करे तू दुख-दर्दों का स्वाद"
"शुद्ध स्वदेशी तानाशाही आए तुझको याद"
"फिर-फिर तुझको हुलसित रक्खे अपना ही उन्माद"
"तुझे गर्व है, बना रहे तू अपना ही अपवाद"
(रचनाकाल : 1977)