Last modified on 26 दिसम्बर 2009, at 19:30

"देवरस-दानवरस / नागार्जुन" के अवतरणों में अंतर

(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नागार्जुन |संग्रह=खिचड़ी विप्लव देखा हमने / नागार्जुन...)
 
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 4: पंक्ति 4:
 
|संग्रह=खिचड़ी विप्लव देखा हमने / नागार्जुन
 
|संग्रह=खिचड़ी विप्लव देखा हमने / नागार्जुन
 
}}
 
}}
 
+
{{KKCatKavita}}
 +
<poem>
 
देवरस-दानवरस
 
देवरस-दानवरस
 
 
पी लेगा मानव रस
 
पी लेगा मानव रस
 
 
होंगे सब विकृत-विरस
 
होंगे सब विकृत-विरस
 
 
क्या षटरस, क्या नवरस
 
क्या षटरस, क्या नवरस
 
 
होंगे सब विजित-विवश
 
होंगे सब विजित-विवश
 
 
क्या तो तीव्र क्या तो ठस
 
क्या तो तीव्र क्या तो ठस
 
 
देवरस- दानवरस
 
देवरस- दानवरस
 
 
पी लेगा मानव रस
 
पी लेगा मानव रस
 
  
 
सर्वग्रास-सर्वत्रास
 
सर्वग्रास-सर्वत्रास
 
 
होगा अब इतिहास
 
होगा अब इतिहास
 
 
फैलाएगा उजास
 
फैलाएगा उजास
 
 
पशु-विप्लव पशु-विलास
 
पशु-विप्लव पशु-विलास
 
 
जन-लक्ष्मी अति उदास
 
जन-लक्ष्मी अति उदास
 
 
छोड़ेगी बस उसाँस
 
छोड़ेगी बस उसाँस
 
 
चरेगी हरी घास
 
चरेगी हरी घास
 
 
संस्कृति की गलित लाश
 
संस्कृति की गलित लाश
 
  
 
कूड़ों के आस-पास
 
कूड़ों के आस-पास
 
 
ढूंढेंगे प्रात-राश
 
ढूंढेंगे प्रात-राश
 
 
ग्रामदास- नगरदास
 
ग्रामदास- नगरदास
 
 
देखेगा जग विकास
 
देखेगा जग विकास
 
 
अंत्योदय-अंत्यनाश
 
अंत्योदय-अंत्यनाश
 
 
होगा अब इतिहास
 
होगा अब इतिहास
 
 
सर्वत्रास-सर्वग्रास
 
सर्वत्रास-सर्वग्रास
 
  
 
(रचनाकाल : 1978)
 
(रचनाकाल : 1978)
 +
</poem>

19:30, 26 दिसम्बर 2009 के समय का अवतरण

देवरस-दानवरस
पी लेगा मानव रस
होंगे सब विकृत-विरस
क्या षटरस, क्या नवरस
होंगे सब विजित-विवश
क्या तो तीव्र क्या तो ठस
देवरस- दानवरस
पी लेगा मानव रस

सर्वग्रास-सर्वत्रास
होगा अब इतिहास
फैलाएगा उजास
पशु-विप्लव पशु-विलास
जन-लक्ष्मी अति उदास
छोड़ेगी बस उसाँस
चरेगी हरी घास
संस्कृति की गलित लाश

कूड़ों के आस-पास
ढूंढेंगे प्रात-राश
ग्रामदास- नगरदास
देखेगा जग विकास
अंत्योदय-अंत्यनाश
होगा अब इतिहास
सर्वत्रास-सर्वग्रास

(रचनाकाल : 1978)