"एक-एक पत्ती की भूमिका है / गणेश पाण्डेय" के अवतरणों में अंतर
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02:08, 2 अप्रैल 2020 के समय का अवतरण
किसी पत्ती को
उदास करने लिए
थोड़ी- सी तेज़ धूप
और एक छोटा-सा
चुभता हुआ काँटा
बहुत है
एक उदास
पत्ती के लिए
हवा का जरा-सा धक्का
किसी से मिली
कोई हल्की-सी चोट
काफ़ी है
टूट जाने के लिए
दुख की धरती पर
दुख के वन में
दुख के लम्बे-लम्बे वृक्ष ज़्यादा हैं
और घने वृक्षों की गोद में
उदास पत्तियाँ सबसे ज़्यादा
फूल थोड़े हैं
जिन्हें ढँग से चाहने वाले
और भी कम
सुगन्ध थोड़ी-सी है
और धरती असीम
जितनी भी बड़ी हो पृथ्वी
उदास पत्तियों की पंक्ति
उससे बड़ी है
एक पत्ती को टूटकर गिरने
और गिरते-गिरते किसी के वास्ते
मर-मिटने के लिए
चाहिए
बस, उतनी-सी मिट्टी
चाहिए जितनी जगह
किसी लम्बी उड़ान पर निकले
एक थके हुए पक्षी को
बस, ज़रा-सा
अपने पैर रखने के लिए
इस जीवन में
एक पत्तियों को
और क्या चाहिए
फूलों और फलों के लिए
मर-मिटने के सिवा
पत्तियों की इस दुनिया में
एक-एक पत्ती की भूमिका है
दुख है तो है
दुख के इस महारंग में
थोड़ा प्रेम का रंग है
थोड़ा साहचर्य का रंग
थोड़ा जीवन का
इसी में कोई-कोई पत्तियाँ
चाय की पत्तियों की तरह
अपना लहू निचोड़ कर
टूटे हुए दिल जोड़ती हैं
और अपना दुख छिपाकर
दुनिया के दुख से करती हैं
हंस-हंसकर बातें ।