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"वर्ष नया / अजित कुमार" के अवतरणों में अंतर
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कुछ देर अजब पानी बरसा । | कुछ देर अजब पानी बरसा । | ||
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बिजली तड़पी, कौंधा लपका … | बिजली तड़पी, कौंधा लपका … | ||
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::फिर घुटा-घुटा सा, घिरा-घिरा | ::फिर घुटा-घुटा सा, घिरा-घिरा | ||
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::हो गया गगन का उत्तर-पूरब तरफ़ सिरा । | ::हो गया गगन का उत्तर-पूरब तरफ़ सिरा । | ||
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बादल जब पानी बरसाये | बादल जब पानी बरसाये | ||
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तो दिखते हैं जो, | तो दिखते हैं जो, | ||
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वे सारे के सारे दृश्य नज़र आये । | वे सारे के सारे दृश्य नज़र आये । | ||
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::छप-छप,लप-लप, | ::छप-छप,लप-लप, | ||
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::टिप-टिप, दिप-दिप,- | ::टिप-टिप, दिप-दिप,- | ||
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::ये भी क्या ध्वनियां होती हैं ॥ | ::ये भी क्या ध्वनियां होती हैं ॥ | ||
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सड़कों पर जमा हुए पानी में यहां-वहां | सड़कों पर जमा हुए पानी में यहां-वहां | ||
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बिजली के बल्बों की रोशनियां झांक-झांक | बिजली के बल्बों की रोशनियां झांक-झांक | ||
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सौ-सौ खंडों में टूट-फूटकर रोती हैं। | सौ-सौ खंडों में टूट-फूटकर रोती हैं। | ||
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यह बहुत देर तक हुआ किया … | यह बहुत देर तक हुआ किया … | ||
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:फिर चुपके से मौसम बदला | :फिर चुपके से मौसम बदला | ||
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::तब धीरे से सबने देखा- | ::तब धीरे से सबने देखा- | ||
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हर चीज़ धुली, | हर चीज़ धुली, | ||
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हर बात खुली सी लगती है | हर बात खुली सी लगती है | ||
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जैसे ही पानी निकल गया । | जैसे ही पानी निकल गया । | ||
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::यह जो आया है वर्ष नया- | ::यह जो आया है वर्ष नया- | ||
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वह इसी तरह से खुला हुआ , | वह इसी तरह से खुला हुआ , | ||
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वह इसी तरह का धुला हुआ | वह इसी तरह का धुला हुआ | ||
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बनकर छाये सबके मन में , | बनकर छाये सबके मन में , | ||
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लहराये सबके जीवन में । | लहराये सबके जीवन में । | ||
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दे सकते हो ? | दे सकते हो ? | ||
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--दो यही दुआ । | --दो यही दुआ । | ||
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02:00, 25 मार्च 2011 के समय का अवतरण
कुछ देर अजब पानी बरसा ।
बिजली तड़पी, कौंधा लपका …
फिर घुटा-घुटा सा, घिरा-घिरा
हो गया गगन का उत्तर-पूरब तरफ़ सिरा ।
बादल जब पानी बरसाये
तो दिखते हैं जो,
वे सारे के सारे दृश्य नज़र आये ।
छप-छप,लप-लप,
टिप-टिप, दिप-दिप,-
ये भी क्या ध्वनियां होती हैं ॥
सड़कों पर जमा हुए पानी में यहां-वहां
बिजली के बल्बों की रोशनियां झांक-झांक
सौ-सौ खंडों में टूट-फूटकर रोती हैं।
यह बहुत देर तक हुआ किया …
फिर चुपके से मौसम बदला
तब धीरे से सबने देखा-
हर चीज़ धुली,
हर बात खुली सी लगती है
जैसे ही पानी निकल गया ।
यह जो आया है वर्ष नया-
वह इसी तरह से खुला हुआ ,
वह इसी तरह का धुला हुआ
बनकर छाये सबके मन में ,
लहराये सबके जीवन में ।
दे सकते हो ?
--दो यही दुआ ।