भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कविता-4 / रवीन्द्रनाथ ठाकुर" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
(नया पृष्ठ: मेरे प्यार की खुशबू वसंत के फूलों सी चारों ओर उठ रही है। यह पुरान...) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 1: | पंक्ति 1: | ||
− | मेरे प्यार की | + | {{KKGlobal}} |
− | वसंत के फूलों सी | + | {{KKRachna |
+ | |रचनाकार=रवीन्द्रनाथ ठाकुर | ||
+ | |संग्रह= | ||
+ | }} | ||
+ | [[Category:अंग्रेज़ी भाषा]] | ||
+ | {{KKCatKavita}} | ||
+ | <Poem> | ||
+ | मेरे प्यार की ख़ुशबू | ||
+ | वसंत के फूलों-सी | ||
चारों ओर उठ रही है। | चारों ओर उठ रही है। | ||
यह पुरानी धुनों की | यह पुरानी धुनों की | ||
याद दिला रही है | याद दिला रही है | ||
− | अचानक मेरे | + | अचानक मेरे हृदय में |
− | + | इच्छाओं की हरी पत्तियाँ | |
उगने लगी हैं | उगने लगी हैं | ||
मेरा प्यार पास नहीं है | मेरा प्यार पास नहीं है | ||
पर उसके स्पर्श मेरे केशों पर हैं | पर उसके स्पर्श मेरे केशों पर हैं | ||
− | और उसकी | + | और उसकी आवाज़ अप्रैल के |
− | सुहावने मैदानों से फुसफुसाती आ रही | + | सुहावने मैदानों से फुसफुसाती आ रही है । |
− | उसकी एकटक निगाह | + | उसकी एकटक निगाह यहाँ के |
आसमानों से मुझे देख रही है | आसमानों से मुझे देख रही है | ||
− | पर उसकी | + | पर उसकी आँखें कहाँ हैं |
उसके चुंबन हवाओं में हैं | उसके चुंबन हवाओं में हैं | ||
− | पर उसके होंठ | + | पर उसके होंठ कहाँ हैं ... |
− | + | '''अंग्रेज़ी से अनुवाद : कुमार मुकुल''' | |
+ | </poem> |
20:45, 21 जुलाई 2010 के समय का अवतरण
मेरे प्यार की ख़ुशबू
वसंत के फूलों-सी
चारों ओर उठ रही है।
यह पुरानी धुनों की
याद दिला रही है
अचानक मेरे हृदय में
इच्छाओं की हरी पत्तियाँ
उगने लगी हैं
मेरा प्यार पास नहीं है
पर उसके स्पर्श मेरे केशों पर हैं
और उसकी आवाज़ अप्रैल के
सुहावने मैदानों से फुसफुसाती आ रही है ।
उसकी एकटक निगाह यहाँ के
आसमानों से मुझे देख रही है
पर उसकी आँखें कहाँ हैं
उसके चुंबन हवाओं में हैं
पर उसके होंठ कहाँ हैं ...
अंग्रेज़ी से अनुवाद : कुमार मुकुल