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आहट का हिसाब;मुक्तक / कविता भट्ट
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01:07, 30 जून 2020
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<poem>
1
ज़माने ने मेरी हर मुस्कराहट का हिसाब माँगा।
मेरी बातों में उसकी खुशबू हुई शामिल,
मेरी वफ़ा को हसीन अंजाम दिया उसने।
</poem>
वीरबाला
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