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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=कविता भट्ट|अनुवादक=|}}{{KKCatKavita}}<poem>
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ज़माने ने मेरी हर मुस्कराहट का हिसाब माँगा।
मेरी बातों में उसकी खुशबू हुई शामिल,
मेरी वफ़ा को हसीन अंजाम दिया उसने।
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