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निचोड़ा | निचोड़ा | ||
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सत्व खींच लेने पर भी | सत्व खींच लेने पर भी | ||
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जो शेष बचा होगा- वह भी ले लिया, | जो शेष बचा होगा- वह भी ले लिया, | ||
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नहीं कुछ छोड़ा , | नहीं कुछ छोड़ा , | ||
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फिर उस शुष्क ह्र्दय को उसने व्यर्थ मानकर | फिर उस शुष्क ह्र्दय को उसने व्यर्थ मानकर | ||
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रिक्त उपेक्षा, तिक्त व्यथा से | रिक्त उपेक्षा, तिक्त व्यथा से | ||
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तोड़ा और मरोड़ा | तोड़ा और मरोड़ा | ||
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जो टपका वह लहू नहीं था… | जो टपका वह लहू नहीं था… | ||
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रस की धारा थी, अमृत था, | रस की धारा थी, अमृत था, | ||
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12:00, 1 नवम्बर 2009 के समय का अवतरण
अपने सरस, उदार ह्र्दय को
जितना भी सम्भव था , उतना उसने दुहा,
निचोड़ा
सत्व खींच लेने पर भी
जो शेष बचा होगा- वह भी ले लिया,
नहीं कुछ छोड़ा ,
फिर उस शुष्क ह्र्दय को उसने व्यर्थ मानकर
रिक्त उपेक्षा, तिक्त व्यथा से
तोड़ा और मरोड़ा
जो टपका वह लहू नहीं था…
रस की धारा थी, अमृत था,
जिसने क्षत-विक्षत घावों को भरा और
टूटे भावों को जोड़ा ।